बिहार

बिहार में स्कूल, कॉलेज 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खुलेंगे

पटनाः राज्यभर के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, कोचिंग संस्थानों सहित शैक्षणिक संस्थानों कोविड महामारी के प्रकोप के बाद नौ महीने के अंतराल के बाद आज सोमवार से बिहार में फिर से खुलेंगे। हालांकि, कोविड-19 से छात्रों के बचाव को लेकर तमाम एहतियातें बरती जायेंगे और हर क्लास में 50 प्रतिशत विद्यार्थी ही मौजूद रहेंगे। बता दें […]

पटनाः राज्यभर के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, कोचिंग संस्थानों सहित शैक्षणिक संस्थानों कोविड महामारी के प्रकोप के बाद नौ महीने के अंतराल के बाद आज सोमवार से बिहार में फिर से खुलेंगे। हालांकि, कोविड-19 से छात्रों के बचाव को लेकर तमाम एहतियातें बरती जायेंगे और हर क्लास में 50 प्रतिशत विद्यार्थी ही मौजूद रहेंगे। बता दें कि राज्य में कोरोना वायरस के नए मामलों की कमी और 97.61 प्रतिशत की रिकवरी दर के कारण लगता है कि इससे शैक्षणिक संस्थानों में शारीरिक रूप से पढ़ाई फिर से शुरू करने का विश्वास बढ़ा है।

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने रविवार को बताया कि कक्षाओं में कुल छात्रों की संख्या का आधा हिस्सा ही एक क्लास में उपलब्ध रहेगा। कोरोना वायरस के अन्य प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना पडे़गा है। 50 प्रतिशत क्षमता के साथ आज फिर से खुलेंगे स्कूल, कॉलेज व कोचिंग संस्थान।

हिन्दुस्तान के मुताबिक, राज्य के करीब 8000 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 36,61,942 बच्चों को 2-2 मास्क के हिसाब से करीब सवा 73 लाख मास्क जीविका के माध्यम से दिए जाएंगे। इन स्कूलों में एक दिन में 18,30,971 बच्चे ही आएंगे। गौर हो कि कोरोना संकट को देखते हुए 14 मार्च 2020 से ही सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। करीब साढ़े नौ महीने बाद अर्थात 296 दिनों की बंदी के बाद सोमवार को जब ये संस्थान खुलेंगे तो इनमें रौनक लौटेगी। साथ ही बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से मुक्ति मिलेगी।

मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में 18 दिसम्बर को राज्य आपदा समूह की बैठक में 4 जनवरी 2021 से स्कूलों-कालेजों-कोचिंग संस्थानों को खोले जाने को लेकर निर्णय लिया गया था। 24 दिसम्बर को शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक संस्थानों के सुरक्षित संचालन को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी किया। उसके बाद सभी जिलों में डीईओ और डीएम ने स्कूल, कालेज, विवि तथा कोचिंग संस्थान के प्रबंधकों संग बैठक कर गाइडलाइन के पालन को लेकर उन्हें जागरूक किया। गाइडलाइन जारी होने के बाद सभी शैक्षिक संस्थानों के परिसर और वर्गकक्ष को सेनेटाइज करने का जिम्मा स्थानीय स्तर पर शिक्षण संस्थाओं के प्रधान को दिया गया है। स्कूल बंदी में ही बच्चों के छह फीट की दूरी पर बैठने की भी व्यवस्था सुनिश्चित करनी थी।

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