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Mucormycosis: बिहार में ब्लैक फंगस का खतरा, कुल आठ मामले सामने आए

नई दिल्लीः गुजरात में ब्लैक फंगस संक्रमण या म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) फैलने के बाद उत्तर प्रदेश के मेरठ और लखनऊ में कुछ मामलों की पुष्टि हुई है। इसके बाद अब बिहार के पटना में दो अस्पतालों में गुरुवार को दो नए ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं। इनमें पटना एम्स में एक और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान […]

नई दिल्लीः गुजरात में ब्लैक फंगस संक्रमण या म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) फैलने के बाद उत्तर प्रदेश के मेरठ और लखनऊ में कुछ मामलों की पुष्टि हुई है। इसके बाद अब बिहार के पटना में दो अस्पतालों में गुरुवार को दो नए ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं। इनमें पटना एम्स में एक और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में एक भर्ती हुए हैं। इस प्रकार अभी तक कुल आठ ब्लैक फंगस के मरीज सामने आए हैं। ऐसे मरीजों की संख्या अब बढ़ने लगी है। अब कुल ब्लैक फंगस के मरीज एम्स में चार, आईजीआईएमएस में दो और रूबन में दो भर्ती हैं।

इस फंगस के कारण लोग अपनी आंख की रोशनी गंवा रहे हैं। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में जो तीन नए मामले आए हैं उसे चिकित्सक अभी संदिग्ध बता रहे हैं। हालांकि चिकित्सक यह भी कह रहे हैं कि तीनों के लक्षण ब्लैक फंगस वाले ही हैं। जांच के बाद इसे कंफर्म किया जाएगा। वहीं आईजीआईएमएस में जो मरीज संदिग्ध मिले हैं, उनका इलाज शुरू हो गया है। 

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर में फंगस कहां बढ़ रहा है। यदि यह साइनस और मस्तिष्क क्षेत्र पर हमला करता है, तो लक्षणों में एक तरफा चेहरे की सूजन, सिरदर्द, नाक या साइनस, बुखार और नाक के ऊपर काले घाव या मुंह के ऊपरी भाग शामिल हो सकते हैं जो जल्दी से अधिक गंभीर हो सकते हैं। इससे आंखों में दर्द भी हो सकता है और अंततः आंखों की रोशनी का नुकसान भी हो सकता है अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाता है। 

क्या है म्यूकोरमाइकोसिस
महाराष्ट्र के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. तात्याराव लहाने का कहना है, ‘‘म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगल इंफेक्शन है, जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद पाया जा रहा है। इस बीमारी में आंख या जबड़े में इंफेक्शन होता है, जिससे मरीज की जान भी सकती है। म्यूकरमाइकोसिस फंगस नाक के रास्ते दिमाग तक पहुंचता है। रास्ते में आने वाली हड्डी व त्वचा को फंगस नष्ट कर देता है। इससे मरीज की मौत तक हो सकती है। मरीज के आंखें खराब हो सकती हैं। रोशनी भी जा सकती है। मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें निकाल दी जाती हैं।’’

ज्यादा स्टराइड है खतरनाक
डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि ऐसे मरीज जिनमें रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है। यदि वह कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो उनके सामने दिक्कत आ सकती है। स्टराइड की खुराक ज्यादा मात्रा में लेने से भी इस तरह की दिक्कत आ सकती है। वह बताते हैं कि बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित फोन पर डॉक्टर की सलाह लेकर स्टराइड का सेवन कर रहे हैं। स्टराइड कोरोना पर वार तो कर रहा है लेकिन उसकी मात्रा अधिक होने से मरीज की सेहत को नुकसान हो सकता है। जिनमें रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है, उनमें दिक्कत बढ़ जाती है। यही नहीं ऐसे मरीज जो लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती हुए हैं उनमें फंगस का खतरा ज्यादा होता है। फंगस से बचने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के स्टराइड का सेवन न करें।

लक्षण
– कोरोना मरीज की नाक बार-बार बंद होना
– नाक से पानी आना
– गालों पर काले या लाल चकत्ते होना
– चेहरे के एक तरफ सूजन, सुन्न हो जाना
– दांतों व जबड़े में दर्द होना
– आखों में धुंधलापन और दर्द
– खून की उल्टियां होना

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)

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