बिहार

चारा घोटाला से जुड़े मामले में लालू यादव को मिली जमानत, जल्द होंगे रिहा

पटनाः राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव को आज झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में जमानत दे दी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को ‘दुमका ट्रेजरी केस’ के रूप में जाना जाता है, जहां वह बिहार के पूर्व में झारखंड के शहर में राजकोष से 3.13 करोड़ की […]

पटनाः राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव को आज झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में जमानत दे दी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को ‘दुमका ट्रेजरी केस’ के रूप में जाना जाता है, जहां वह बिहार के पूर्व में झारखंड के शहर में राजकोष से 3.13 करोड़ की निकासी का दोषी पाया गया था, जिसमें वह अपनी सजा काट रहे हैं। करीब 40 माह बाद लालू प्रसाद जेल से बाहर आएंगे। फिलहाल लालू अस्वस्थ हैं और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा है।

लालू यादव, वर्तमान में इलाज के लिए दिल्ली के एम्स में हैं, उन्हें पहले पशुओं के चारे के लिए सरकारी धन के ठिकाने से जुड़े चार मामलों में से तीन में जमानत मिली थी। दुमका मामले में जमानत मिलने के बाद अब वह अस्पताल से रिहा होकर घर लौट सकते हैं।

न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद न तो बिना अनुमति के देश छोड़ सकते हैं और न ही जमानत अवधि के दौरान अपना पता और मोबाइल नंबर बदल सकते हैं।

‘दुमका ट्रेजरी केस’ में 1991 और 1996 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा दुमका कोषागार से लिया गया धन शामिल है जब लालू यादव मुख्यमंत्री थे।

पिछले अक्टूबर में लालू यादव को चाईबासा कोषागार मामले में चारा घोटाले से संबंधित जमानत दी गई थी।

सीबीआई की ओर से लालू प्रसाद को जमानत का विरोध किया गया। सीबीआई का कहना था कि दुमका कोषागार में लालू प्रसाद को सीबीआई कोर्ट ने आईपीसी में सात और पीसी एक्ट के तहत सात साल की सजा सुनायी है। सीबीआई कोर्ट ने दोनों सजा अलग-अलग चलाने का आदेश दिया है। ऐसे में लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी में कुल 14 साल की सजा मिली है। सात साल जेल में बिताने के बाद ही उनकी आधी सजा पूरी होगी। इस तरह उनकी आधी सजा पूरी नहीं हुई है। इसलिए वह जमानत के हकदार नहीं है। 

सीबीआई की इस दलील का कपिल सिब्बल ने विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में कई और अन्य आरोपियों को सात साल की सजा मान कर ही जमानत प्रदान की गयी है। उन मामलों में सीबीआई ने यह दलील नहीं दी थी, फिर लालू प्रसाद के मामले में यह नयी दलील नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने भी सीबीआई के इस दलील को नहीं माना और लालू प्रसाद को कुछ शर्तों के साथ जमानत प्रदान कर दी।

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