बिहार

जनगणना पर हाईकोर्ट में फिर पिटी सरकार की भद्द , सही ढंग से नहीं रख पाई पक्ष

भाजपा के सरकार में रहते हुआ था जातीय जनगणना का फैसला

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि जातीय जनगणना कराने के विरुद्ध एक भी कानूनी सवाल का जवाब दमदार ढंग से नहीं दे पाने के कारण हाईकोर्ट में फिर नीतीश सरकार की भद पिटी। जनगणना कराने का फैसला उस एनडीए सरकार था, जिसमें भाजपा शामिल थी।

मोदी ने कहा कि हाईकोर्ट की अंतरिम रोक के बाद जातीय जनगणना लंबे समय तक टल सकती है और इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि जिस मुद्दे पर विरोध पक्ष से मुकुल रोहतगी जैसे बड़े वकील बहस कर चुके थे, उस पर जवाब देने के लिए वैसे ही कद्दावर वकीलों को क्यों नहीं खड़ा किया गया ?

मोदी ने कहा कि जनगणना के संबंध में तीन बड़े न्यायिक प्रश्न थे-
*क्या इससे निजता के अधिकार का हनन होता है?
*क्या यह कवायद सर्वे की आड़ में जनगणना है?
*इसके लिए कानून क्यों नहीं बनाया गया?

मोदी ने कहा कि सरकार के वकील इन तीनों सवालों पर अपनी दलील से न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर पाये। इससे लगता है कि सरकार यह मुकदमा जीतना ही नहीं चाहती थी ।

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने के मुद्दे पर भी सरकार को झुकना पड़ा था। आयोग की रिपोर्ट अब तक जारी नहीं हुई।

मोदी ने कहा कि जनगणना हो या आरक्षण, राजद को अतिपिछड़ा वर्ग पर नहीं, सिर्फ एम-वाई समीकरण पर भरोसा है। वे केवल दिखावे के लिए पिछड़ों की बात करते हैं।