बिहार

बिहार का एक गांव बना मिसाल, कोरोना की किसी भी लहर में नहीं मिला एक भी केस

पटनाः कोरोना वायरस महामारी पूरे भारत में कहर बनकर बरस रही है। देश के लगभग सभी राज्यों से कोरोना के केस लगातार सामने आ रहे हैं। पूरे देश में हालात बदतर होते जा रहे हैं। लेकिन इस बीच बिहार में एक ऐसा भी गांव है जहां कोरोना का नामों-निशां भी नहीं है। दैनिक जागरण के […]

पटनाः कोरोना वायरस महामारी पूरे भारत में कहर बनकर बरस रही है। देश के लगभग सभी राज्यों से कोरोना के केस लगातार सामने आ रहे हैं। पूरे देश में हालात बदतर होते जा रहे हैं। लेकिन इस बीच बिहार में एक ऐसा भी गांव है जहां कोरोना का नामों-निशां भी नहीं है। दैनिक जागरण के मुताबिक, जिले का चोंगाई प्रखंड के नाचाप पंचायत के रेवटियां गांव में कोरोना आने से घबराता है। दरअसल, इस गांव के लोग कोरोना के प्रति सतर्कता और दूसरी सभी एहतियात बरत रहे हैं, जिस वजह से कोरोना इस गांव में प्रवेश नहीं कर पाया। इस बारे में चोंगाई के चिकित्सक गांव का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

बिहार के इस जिले में कोरोना संक्रमण के आए तकरीबन 13 महीने गुजरने के बाद भी गांव में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जिसकी वजह है कि यहां के लोग न तो बेवजह कहीं जाते हैं और ना ही बाहर से आने वाले लोगों को कोई तरजीह देते हैं। गांव के लोगों ने बैठक कर कड़े नियम बनाए। लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव से बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए गए हुए हैं। उनके वापस आने पर उन्हें गांव के बाहर स्कूल में कम से कम तीन दिन क्वारंटाइन रहना पड़ता है। लक्षण नजर आने पर उनकी जांच कराई जाती है। पिछले साल बाहर से आए गांव का एक प्रवासी संक्रमित भी मिला था। गांव के नियम का पालन करने के कारण उसके गांव में घुसने से पहले ही इसका पता चल गया और उसे इलाज के लिए आइसोलेशन केंद्र में भेज दिया गया। बाद में संक्रमण मुक्त होकर वह गांव में आया। 

पिछले साल जब देश कोरोना से लड़ रहा था, तब इस गांव के लोगों ने लॉकडाउन केे दौरान काफी एहतियात बरती और खुद ही गांव की बैरिकेडिंग कर दी। इसका नतीजा यह रहा कि पिछले साल इस गांव में एक भी कोरोना के मरीज नहीं मिला। इस बार भी कोरोना की दूसरी लहर में गांव के लोग नियमों का पालन बखूबी कर रहे हैं। ग्रामीण युवक भीम सिंह, गणेश कुमार, सोनू कुमार, मोनू कुमार और पीयूष कुमार ने बतायाा कि इस गांव की आबादी तकरीबन दो हजार से ऊपर है। संक्रमण की लहर कमजोर पडने के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने के नियम का पालन किया। अगर कहीं जाते भी थे तो सावधानी और सतर्कता केे साथ रहते थे। यही नहीं गांव में आने वाले हर लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है। 

चोंगाई के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना काल में प्रखंड क्षेत्र में बहुत सारे प्रवासी कामगार आए और गए, लेकिन इस गांव से अब तक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिलना बड़ी बात है। अन्य गांवो के लोगों को भी इस गांव के लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।

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