पटना: पटना हाईकोर्ट में करीब पौने दो लाख शिक्षकों की नई नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए एक याचिका दायर की गई है। इसे प्रभाकर रंजन और अन्य ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता ऋतिका रानी ने बताया कि इस याचिका में शिक्षकों के नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई है।
अधिवक्ता ऋतिका रानी ने बताया कि बिहार राज्य स्कूल शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई व सेवा शर्तें) रूल-2023 की वैधता को चुनौती दी गई है। कहा गया कि पुराने नियमों को शिथिल किए बिना नया नियम बना दिया गया है। पूर्व के प्रावधानों के अनुसार स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद और नगरपालिका के हाथों में था।इन प्रावधानों को हटाए बगैर रूल-2023 राज्य सरकार द्वारा लाया गया, जिसके तहत राज्य में पौने दो लाख स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति होने जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि वैधता को चुनौती देने वाली याचिका जब तक कोर्ट के सुनवाई के लंबित है, इस विज्ञापन के आधार पर इन पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति सही नहीं होगी।
पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद व नगरपालिका से शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार वापस लेना स्थानीय स्वायतता के सिद्धांतों के विपरीत हैं। उल्लेखनीय है कि नए प्रावधानों के अनुसार, इन पौने दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित कर उनके परिणाम के आधार पर नियुक्ति की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन को सौंपी गई है।
याचिका में ये भी मुद्दा उठाया गया है कि रूल 2006 के तहत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान हैं, लेकिन 2023 के रूल के अनुसार जो शिक्षक नियुक्त होंगे, उनका वेतन अलग होगा, जो समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है।