पटनाः भले ही खरमास के महीने को किसी भी काम के लिए शुभ न माना जाता हो, लेकिन बिहार सरकार में इसी महीने में अहम फैसले लिए जाएंगे। बिहार में इस महीने में राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हैं। खरमास के महीने में बिहार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गतिरोध समाप्त हो गया है। जी न्यूज की रिर्पोट के अनुसान, जेडीयू और बीजेपी के बीच 50-50 के फार्मूले पर बात बन गयी है और खरमास यानि 14 जनवरी के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जायेगा। इसके साथ ही राज्यपाल कोटे से मनोनीत होनेवाले 12 एमएलसी के नाम पर भी मुहर लग जायेगी। इसके साथ कमिटी, आयोग व जिला बीस सूत्री के खाली पदों को भी भर दिया जायेगा।
मंत्रिमंडल का विस्तार
17वीं विधानसभा चुनाव के बाद महज 15 लोगों के साथ सीएम नीतीश कुमार की नई मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। अभी उन्हें 21 और नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में लाना है। ऐसे में नए चेहरों पर फैसला इसी महीने में होगा, ताकि पुराने मंत्रियों से विभागों का भार कम किया जा सके।
राज्यपाल कोटे से विधान परिषद सदस्यों के मनोनीत होने की बात अटकी हुई है। अब इस पर फैसला इसी महीने में लेना होगा। क्योंकि बिना किसी सदन के सदस्य बने अशोक चैधरी और मुकेश सहनी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। नए एमएलसी के लिए चयन का काम इसी महीने में होना है।
सीएम नीतीश कुमार जदयू को नए सिरे मजबूत करना चाहते हैं। इसको लेकर पुराने मित्रों की तलाश कर रहे हैं। ऐसे पुराने साथियों में नरेंद्र सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, अरुण कुमार, रेणु कुशवाहा सहित कई नेताओं को इकट्ठा किया जा रहा है। इन सबको एकसाथ लाकर खरमास के बाद उन्हें जदयू के साथ जोड़ा जाएगा।
हालांकि, नई सरकार के गठन के बाद ये माना जा रहा था कि विधानसभा में बहुमत साबित होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो जायेगा। इसके संकेत बीजेपी और जेडीयू दोनों के नेताओं की ओर से मिल रहे थे, लेकिन 27 नवंबर को बहुमत साबित होने के बाद कयासों का सिलसिला शुरू हुआ। दिसंबर आते-आते गहराता गया और जब 14 दिसंबर से खरमास शुरू हुआ, तो साफ हो गया कि सरकार में शामिल मुख्य दलों जेडीयू और भाजपा के बीच सहमति नहीं बनी है। लेकिन ये कयास लगाए जा रहे हैं कि खरमास खत्म होते ही मंत्रीमंडल का विस्तार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में संख्या के हिसाब से 36 मंत्री बन सकते हैं। अभी सरकार में 14 मंत्री हैं, जिसके आधार पर माना जा रहा है कि विस्तार में 16 से 18 नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार से सरकार के कामकाज में तेजी आयेगी, क्योंकि सरकार में शामिल तमाम मंत्रियों के पास कई विभागों का प्रभार है, जिससे वो सही तरीके से हर विभाग को नहीं देख पा रहे थे, लेकिन विस्तार के साथ ही विभागों का बंटवारा भी हो जायेगा।
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