बिहार

बक्सर के सियासी कीचड़ में फंस गया है भाजपा का कमल प्रत्याशी बदलने की सुगबुगाहट

सभी जानते हैं की बक्सर में दसकों से बाहरी उम्मीदवार का विरोध हो रहा था। विरोध के बावजूद भाजपा द्वारा वहाँ की जनता की भावना का तिरस्कार किया गया। संभावित उम्मीदवार का चेहरा नहीं दिखने से लोग भी शांत हो जाते थे।

पटना: सभी जानते हैं की बक्सर में दसकों से बाहरी उम्मीदवार का विरोध हो रहा था। विरोध के बावजूद भाजपा द्वारा वहाँ की जनता की भावना का तिरस्कार किया गया। संभावित उम्मीदवार का चेहरा नहीं दिखने से लोग भी शांत हो जाते थे।

इस बार पार्टी के अंदर से डॉ मनोज कुमार तथा बाहर से आनंद मिश्रा लोगों के बीच अपनी पहचान बना चुके थे। प्रदेश स्तर तक भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को भी यह विश्वास था कि लंबे समय से पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके डॉ मनोज का नाम अंतिम फ़ैसला होगा।

आख़िरी वक्त में पार्टी द्वारा बाहरी उम्मीदवार के रूप में मिथिलेश तिवारी को प्रत्याशी बना दिया गया। पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता होने के कारण डॉ मनोज कुमार ने आंशिक विरोध करने के बाद पार्टी के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया।

आनंद मिश्रा अपनी आईपीएस की नौकरी छोड़कर आए थे तथा पार्टी में भी नहीं थे, इसलिए उन्होंने निर्दलीय के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अब बक्सर में चतुष्कोणीय मुक़ाबला हो गया है। आज के दिन में कहना मुश्किल है कि बाज़ी किसके हाथ होगी।