हिमाचल

कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए आबकारी एवं कराधान विभाग का किया गया पुनर्गठनः मुख्यमंत्री

वस्तु एवं सेवा कर विंग और आबकारी विंग बनाए गए

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार ने आबकारी एवं कराधान विभाग का पुनर्गठन किया है जिसके तहत वस्तु एवं सेवा कर विंग और आबकारी विंग बनाए गए हैं। विभागीय कार्यों को सुव्यवस्थित करने और लोगों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से यह पहल की गई है।

उन्होंने कहा कि अलग विंग बनाने का निर्णय काफी समय से लंबित था, विशेषकर जुलाई 2017 से जब जीएसटी अधिनियम लागू किया गया था। वर्तमान राज्य सरकार ने इसकी आवश्यकता को महसूस करते हुए यह पहल की है। उन्होंने कहा कि विभाग की कार्यकुशलता और कार्यप्रणाली में सुधार के लिए अलग-अलग विंग बनाने की बहुत आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा कि विभिन्न कानूनी संरचनाओं और नियामक आवश्यकताओं को देखते हुए, तकनीकी, कानूनी और नियामक पहलुओं पर विशेष प्रशिक्षण बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने और जनता को अधिक प्रभावी ढंग से सुविधा प्रदान करने में मदद करेगा। इससे कार्यभार का समान बंटवारा और सुदृढ़ क्षेत्रीय संचालन भी सुनिश्चित होगा।

श्री सुक्खू ने कहा कि प्रत्येक विंग में विशेषज्ञों के होने से, अधिकारियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में केंद्रित विशेषज्ञता विकसित करने से कार्यकुशलता में सुधार आने की उम्मीद हैै। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर अधिकारी करदाता सेवाओं और राजस्व निगरानी पर ध्यान केंद्रित करेंगे जबकि आबकारी विंग अपने संचालन के सामाजिक प्रभाव को देखते हुए नियामक कार्यों को संभालेगा।

उन्होंने कहा कि अभी अधिकारियों पर कई तरह के कार्यों का बोझ है जिससे कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि विभाग के पुनर्गठन से जिम्मेदारियों का स्पष्ट विभाजन होगा जिससे इस मुद्दे को हल करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि विभाग के पुनर्गठन के तहत 38 नए पद सृजित किए जाएंगे। पुनर्गठन के बाद कॉमन पूल में 87 कर्मचारी होंगे, जबकि वस्तु एवं सेवा कर विंग में 718 और एक्साइज विंग में 632 कर्मचारी होंगे।

श्री सुक्खू ने कहा कि पड़ोसी राज्यों जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तराखंड ने पहले ही अपने आबकारी व कराधान विभागों को अलग-अलग शाखाओं में पुनर्गठित कर दिया है और अब प्रदेश भी उसी राह पर आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन से प्रत्येक शाखा में अधिक केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित होगा, जिससे पूरे राज्य में सार्वजनिक सेवाओं और नियामक कार्यों में बढ़ोतरी होगी।