नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को आयकर (Income Tax) विभाग से कर प्रक्रिया को सरल बनाने, करदाता सेवाओं को बढ़ाने, निश्चितता सुनिश्चित करने और मुकदमेबाजी को कम करने का आग्रह किया। विभाग की 165वीं वर्षगांठ को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने अधिक करदाता-अनुकूल दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीतारमण ने कहा, “मैं ईमानदारी से कहूंगी कि हमें अपने करदाताओं से बात करने और संवाद करने के सरल तरीकों की तलाश करनी चाहिए। शिकायत निवारण एक बड़ा मुद्दा है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि करदाता अनुपालन प्रणाली की सहजता और स्पष्टता पर निर्भर करता है। “केवल तभी जब करदाताओं को एहसास हो जाता है कि नई कर व्यवस्था की तरह ही इसमें भी सहजता, लचीलापन और सरलता है, तभी लोग इसमें शामिल होने और अनुपालन करने के लिए तैयार होते हैं।”
उन्होंने कर नोटिस और पत्राचार में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को भी महत्वपूर्ण रूप से सरल बनाने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “(सुनिश्चित करें) कि कर नोटिस और पत्रों में आप जिस भाषा का उपयोग करते हैं, वह बहुत जटिल और बहुत तकनीकी नहीं है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयकर विभाग द्वारा प्रवर्तन उपाय अंतिम उपाय होने चाहिए और उन्हें मौजूदा मुद्दे के अनुरूप होना चाहिए।
सीतारमण ने करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं को बढ़ाने, कर निश्चितता सुनिश्चित करने और मुकदमेबाजी को कम करने के सरकार के उद्देश्य को भी दोहराया। उन्होंने घोषणा की, “छह महीने के भीतर, हमारे पास कर संहिता या आयकर अधिनियम, कम से कम इसके कुछ हिस्से, बहुत स्पष्ट रूप से सरल, समझने में आसान भाषा में लिखे होंगे।”
उन्होंने उल्लेख किया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के भीतर एक समिति इस पर सक्रिय रूप से काम कर रही है, जो प्रधानमंत्री के निर्बाध और फेसलेस कर प्रशासन के दृष्टिकोण के साथ संरेखण सुनिश्चित करती है।
उन्होंने विभाग से करदाताओं को समय पर राहत प्रदान करने के लिए कर अपीलों के निपटान में तेजी लाने का आग्रह किया।