बिहार

सिसकती व्यथा: मोकामा टाल (ताल) क्षेत्र राजनीति का शिकार

मोकामा टाल क्षेत्र एक तरफ गंगा, सोन,गंडक और दूसरी ओर पुनपुन, फल्गु नदी, सहायक नदियों में हरोहर, मोरहर,धोबा,सकरी, जोह सहित दर्जनों नदियों से घिरा ‘दाल का कटोरानुमा’ है।

मोकामा (पटना): फतुहा से लेकर लक्खीसराय तक तकरीबन 1.06.200 हेक्टेयर क्षेत्र तक फैला यह क्षेत्र 22,50,000 के आबादी के जीवकोपार्जन का मुख्य श्रोत है। दलहनी और तेलहन फसलों के लिए ख्याति प्राप्त यह क्षेत्र अगर भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी के संज्ञान में आ जाए तो सालोभर देशवासियों को दलहन और तेलहन फसलों के लिए स्वावलम्बी हो जाना होगा।

जलशक्ति मंत्रालय आशा की किरण
मोकामा टाल क्षेत्र एक तरफ गंगा, सोन,गंडक और दूसरी ओर पुनपुन, फल्गु नदी, सहायक नदियों में हरोहर, मोरहर,धोबा,सकरी, जोह सहित दर्जनों नदियों से घिरा ‘दाल का कटोरानुमा’ है।

जलशक्ति मंत्रालय का नमामि गंगे परियोजनाओं के अन्तर्गत गंगा के साथ सहायक नदियों को जोडकर जल संचय और जल संग्रह को बढ़ावा देने का है।

गंगा नदी से गाद निकासी से समय पर टाल क्षेत्र से जलनिकासी संभव हो पाएगा। नदियों को एकसूत्र में जोडने से न केवल तटबंध का विस्तार होगा बल्कि जल संसाधन संचित होने पर सिचाई की व्यवस्था भी उत्तम हो जाएगा। एक से ज्यादा फसलों के उत्पादन की संभावना बढेगी। किसानों में खुशहाली आएगी और वाणिज्य – व्यापार की संभावना बढेगी। गंगा नदी के तट पर धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थल और संस्कृति के विस्तार होने से आयबृद्धि होगी।

कृषि मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय का सहयोग मिला तो इस क्षेत्र में चार चांद लग जाएगा। अभी टाल क्षेत्र में उन्नत फसलों के नहीं होने से किसानों को 25% से 30% का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

मोकामा टाल का दर्द
“मुझे तो अपनो ने (स्थानीय जनप्रतिनिधि) लूटा, गैरो में कहां दम था, मेरी किश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था।” टाल संघर्ष समिति के बैनर तले टाल विकास योजना के क्रियान्वयन को लेकर 1985 से लगातार संघर्ष जारी रहा वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। 1990 से लगातार तीन बार लोकसभा भी टाल के ही नाम पर ही नीतीश कुमार जीते। इस बीच नीतीश कुमार केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री, रेल मंत्री सहित कई पदो
पर बने रहे परन्तु हालात ‘ढाक के तीन पात’ ही रहा।

फिर तो टाल केवल चुनावी वादे और मुद्दे बनकर रह गया। टाल योजना टालू योजना बनकर रह गया डा. सन्याल कमिटी सरकारी संचिका में सिसकता रह गया। रमेश कुमार सिंह (विधान पार्षद) की अध्यक्षता में बनी कमिटी का मोटा प्रतिवेदन, बहस का भी बण्डल न जाने कहाँ चली गई। टाल के विकास और किसनों की हालत नही सुधरी।

टाल विकास के नाम पर फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ, मोर, मोकामा, बडहिया, सिघौंल टाल के नाम पर सुलिस गेट और जमीनदारी बांध का काम किया गया। एन्टीफ्लड, पईन की खुदाई भी हुआ पर स्थिति में खास सुधार नही हुआ।

कलयुगी भगीरथ
कायाकल्प पावर प्वाइंट परियोजना के अन्तर्गत बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ड़ोन और सेटलाइट सर्वे कराया। लगा कि अब टाल का कायाकल्प हो जाएगा। इस परियोजना का, 4200 करोड़ रुपये कलयुगी भागीरथी नीतीश कुमार द्वारा हथिदह (पटना) नालन्दा, नवादा से उलटी गंगा मोक्षधाम गया तक लाया गया। यह परियोजना भी कारगर साबित नहीं हो सका।