पटना: बिहार की राजनीति में बड़े राजपूत चेहरे के रूप में स्थापित पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह का टिकट राजद ने महाराजगंज से काट दिया है यह सीट आरजेडी ने कांग्रेस को दे दी है। महाराजगंज लोकसभा सीट को बिहार का दूसरा चित्तौड़गढ़ कहा जाता है।
इस संसदीय क्षेत्र में सिवान की दो और सारण की चार विधान सभाएं शामिल हैं। 1957 में यह लोकसभा क्षेत्र बना। उस वक्त कांग्रेस के महेंद्र नाथ सिंह सांसद हुए थे। यहां की सबसे ज्यादा आबादी राजपूतों की है। दूसरे स्थान पर भूमिहार हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर यहां से 1989 में रिकार्ड मतों से चुनाव जीते थे। उनके इस्तीफा देने के बाद रामबहादुर सिंह सांसद चुने गए। यहां से लगातार तीन बार और कुल चार बार प्रभुनाथ सिंह सांसद रहे हैं। एक बार स्व. उमाशंकर सिंह भी सांसद बने। भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
महाराजगंज में छह विधान सभा क्षेत्र हैं-गोरियाकोठी, महाराजगंज, बनियापुर, मांझी, एकमा, और तरैया। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता : 1793325 – पुरुष – 947175 – महिला 846150 – थर्ड जेंडर 51 – नए मतदाता : 5477 है।
वर्तमान में इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 6 विधानसभा क्षेत्र में दो पर भाजपा दो पर राजद एक पर कांग्रेस और एक पर वाम का कब्जा है। भाजपा ने यहां से अपने ने वर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को ही उम्मीदवार बनाया है महागठबंधन की तरफ से सबसे ज्यादा पसीना पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पूर्व विधायक पुत्र रणधीर सिंह ने बहाया था तैयारी भी इस बार जबरदस्त थी पर राजद ने यह सीट कांग्रेस को दे दी है।
कांग्रेस के तरफ से कई सारे टिकट के दावेदार है। महाराजगंज से कांग्रेस विधायक विजय शंकर दुबे पार्टी की पहली पसंद है मसरख के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी हृदय रोग विशेषज्ञ रहे स्वर्गीय डॉ प्रभात कुमार की पत्नी शुभ्रा सिंह एमएलसी सच्चिदानंद राय तथा कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह का नाम भी शामिल है।
राजद सुप्रीमो चाहते हैं कि यह सीट गैर राजपूत को दिया जाए ऐसी खबर है। पर क्षेत्र में रणधीर सिंह का टिकट कटनी को लेकर जबरदस्त आक्रोश है अगले एक दो दिनों में फैसला होगा की रणधीर सिंह चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे पर हालात को देखते हुए लगता है कि रणधीर सिंह चुनाव लड़ेंगे और उनके समर्थक भी उनके चुनाव लड़ने को लेकर दबाव बना रहे हैं।
महाराजगंज सीट कांग्रेस को देने के बाद सारण प्रमंडल में राजद को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अब नए जातीय समीकरण तैयार करने होंगे प्रभुनाथ सिंह के परिवार का साथ मिलने के बाद कई इलाकों में राजपूतों का थोक में वोट आरजेडी को मिला था जिसका प्रमाण है बनियापुर विधानसभा क्षेत्र जहां से लगातार राजद के विधायक जीत रहे हैं हालांकि वह प्रभुनाथ सिंह के छोटे भाई हैं और उनके गृह क्षेत्र है तो उनका प्रभाव भी है।
2015 के विधानसभा चुनाव में गोरिया कोठी जैसी सेट प्रभुनाथ सिंह के कारण आरजेडी जीत गई थी। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के राजपूत और भूमिहार वोटरों पर प्रभुनाथ सिंह का खास प्रभाव है और यह प्रभाव अब तक बरकरार है।
रघुनाथ सिंह ने जब 2013 में रजत के तरफ रुख किया था तो उनके कट्टर समर्थकों में इस बात को लेकर आक्रोश था कि जिस व्यक्ति ने आजीवन जिसका विरोध किया फिर वह क्यों समर्थन में उतर गया पर अब जो कुछ हुआ है इसका दूरगामी परिणाम होने के आसार नजर आ रहे हैं।
सियासत में कोई किसी का मित्र या स्थाई दुश्मन नहीं होता अब यह देखना लाजमी होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रभूनाथ सिंह के परिवार का अगला कदम क्या होगा। अगर रणधीर सिंह महाराजगंज से निर्दलीय मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों की नाव डगमगा सकती है।