धनबाद: जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) निकट आ रहा है, ह्रदयों को आंतरिक रूप से विकसित करने वाली योग की इस प्राचीन कला के सुर्खियों में आने का यह सटीक समय भी यही है। पिछले कुछ वर्षों में योग को जो वैश्विक संरक्षण प्राप्त हुआ है, उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए। योग की स्वीकृति और लोकप्रियता ने इसके मार्ग की कई बाधाओं को दूर कर दिया है ।
योग के बारे में सबसे आम भ्रांतियों में से एक यह है कि यह शारीरिक व्यायाम का ही एक रूप है। यह सही है कि आसन, या शारीरिक व्यायाम कई लोगों के लिए योग में प्रवेश के लिए अवसर प्रदान करते हैं, किंतु इसका विज्ञान विशाल और गहरा है। योग की प्रमुख शिक्षा मन की समता बनाए रखना है। सजगता के साथ कोई भी कार्य करने में सक्षम होना तथा आप जो कह रहे हैं या कर रहे हैं उसके प्रति सचेत रहना आपको एक योगी बनाता है। योग एक आध्यात्मिक विज्ञान है। ‘यह क्या है’ जानना विज्ञान है। ‘मैं कौन हूँ’ यह जानना ही आध्यात्मिकता है।
योग जीवन के सभी पक्षों में सन्तुलन लाता है। यह हमारी आंतरिक शक्तियों का अध्ययन और उनमें सामंजस्य करना सिखाता है। योग ऐसा संपूर्ण कौशल है जो किसी के जीवन और परिवेश की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है। यह आंतरिक शक्ति बढ़ाता है और बाहरी संबंधों में सुधार करता है।
महर्षि पतंजलि का एक सुंदर सूत्र है जिसके अनुसार ‘प्रयत्न शैथिल्य अनन्त समापत्तिभ्याम्।’ योग के माध्यम से प्रयास को छोड़ने की कला सीखने से व्यक्ति अनंत के साथ पूर्ण एकत्व में होने की स्थिति का अनुभव करता है। योग किसी के व्यक्तित्व में पूर्ण संतुलन ला सकता है। व्यवहार विज्ञान आज जिनकी तलाश में हैं, योग वे कई समाधान प्रदान कर सकता है। यह मानव क्षमता के पूर्ण रूप से खिलने का मार्ग है, अनंत के साथ एक होने के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग है।
ऋषि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित योग सूत्र विस्तृत विवरण नहीं देते हैं। बल्कि वे योग के संपूर्ण दर्शन को बहुत ही संक्षिप्त वाक्यांशों में प्रस्तुत करते हैं, जिन्हें एक गुरु के मार्गदर्शन में समझने की आवश्यकता होती है। वे मील के पत्थर और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि अभ्यास के साथ चेतना की गहरी अवस्थाओं का पता चलता है।
हालाँकि अपने सबसे स्थूल रूप में भी योग मानव मन और शरीर के लिए अकल्पनीय परिवर्तन का माध्यम बन सकता है। भले ही लोग योग आसनों को केवल एक व्यायाम के रूप में करना शुरू कर दें, फिर भी यह एक उत्साहजनक संकेत है।पतंजलि यह भी कहते हैं कि योग का उद्देश्य दुख को आने से पहले ही रोकना है। चाहे वह लोभ हो, क्रोध हो, ईर्ष्या हो, घृणा हो, या हताशा हो, इन सभी नकारात्मक भावनाओं को योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है या उन्हें विपरीत दिशा प्रदान की जा सकती है।
जब हम खुश होते हैं, तो हम अपने भीतर विस्तार की भावना देखते हैं। जब हम असफलता का सामना करते हैं या जब कोई हमारा अपमान करता है, तो हम पाते हैं कि हमारे अंदर कुछ है जो सिकुड़ जाता है। अपना ध्यान उस पदार्थ पर ले जाना ही योग है जो खुश होने पर भीतर फैलता है और जब हम दुखी महसूस करते हैं तो सिमटता या सिकुड़ता है।क्या योग का हमारी किसी भी विश्वास प्रणाली के साथ कोई संघर्ष है?
यदि मैं किसी विशेष धर्म, या किसी विशेष दर्शन में विश्वास करता हूं, या यदि मैं किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा का पालन करता हूं, तो क्या यह योग के विरोध में आता है? मैं कहूँगा, बिलकुल नहीं। योग सदा विविधता में सामंजस्य को बढ़ावा देता है और प्रोत्साहित करता है। ‘योग’ शब्द का अर्थ ही एकत्व है। यह बिल्कुल हमारी श्वास की तरह है। क्या आप कह सकते हैं कि आपकी श्वास किसी विशेष धर्म या दर्शन से संबंधित है?
आज विश्व स्तर पर लगभग 2 अरब लोग योग का अभ्यास करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की गतिमयता के साथ, शेष आबादी को भी योग के सकारात्मक लाभों का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। लोग किसी भी कारण से योग कर रहे हों, यह एक सकारात्मक संकेत है। यह वास्तव में मायने नहीं रखता कि कोई कहां से आरंभ करता है। मेरा मानना है कि योग करुणा और प्रसन्नता से भरे संसार के सपने को साकार कर सकता है।