झारखंड में रांची-टाटा मार्ग पर बुंडू अनुमंडल स्थित सूर्य मंदिर (Surya Mandir) के छठ की खास महत्ता है। यह रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर है। ‘संस्कृति विहार’ के संस्थापक सीताराम मारू के अथक प्रयास से 24 अक्टूबर, 1991 को सूर्य मंदिर की आधारशिला रखी गयी थी और 10 जुलाई, 1994 को सूर्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कर पूजा-अर्चना प्रारंभ की गयी थी। इसके उपरान्त 25-26 वर्षों से लगातार भगवान भास्कर की उपासना के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। पहले यहां गिने-चुने ही श्रद्धालु आकर छठ किया करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां आकर छठ व्रतियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
मान्यता
इस सूर्य मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान राम यहां पहुंचे थे और इस स्थान पर रुककर भगवान सूर्य को नमन किया था। भगवान राम की स्मृति में ही सूर्य मंदिर का यहां निर्माण कराया गया है। मंदिर बनने के बाद मन्नतें मानने के लिए भक्तों का यहां आना लगा रहता है। कई भक्तों के अनुसार, सूर्य मंदिर आने से उनकी मन्नतें पूर्ण हुई हैं। प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु यहां पहुंचते रहते हैं।
दूसरे राज्यों से भी यहां आते हैं छठव्रती
छठ में सूर्य मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। रांची, खूंटी, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो समेत बिहार और बंगाल से भी छठव्रती एक दिन पूर्व यहां आकर छठी मैया को अर्घ्य देते हैं। स्वच्छ, सुंदर और आकर्षक परिसर में छठी मैया को अर्घ्य देकर छठव्रती खुद को धन्य समझते हैं।
यह सूर्य मंदिर देखने में जितना आकर्षक और मनोरम है, उतना ही पावन और सुरक्षित भी माना जाता है। ‘संस्कृति विहार’ के संरक्षण में संचालित सूर्य मंदिर में छठव्रतियों के लिए विशेष इंतजाम करता है।