नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि धन कमाने की लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर का रूप दे दिया है और इसे विकसित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतों का देश के नागरिकों के प्रति कर्तव्य है कि वे भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करें और अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
बता दें कि जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें राज्य के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे कमाने की लालच में देश के लोगों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के संविधान के प्रस्तावना को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो रही है। पीठ ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार एक अस्वस्थता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में मौजूद है। यह अब शासन की गतिविधियों तक सीमित नहीं है। अफसोस की बात है कि जिम्मेदार नागरिक कहते हैं कि यह किसी के जीवन का एक तरीका बन गया है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह पूरे समुदाय के लिए शर्म की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मन में जो अच्छे आदर्श थे, उनका पालन करने में लगातार गिरावट आ रही है और समाज में नैतिक मूल्यों का दोहन तेजी से बढ़ रहा है। पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ का पता लगाने के लिए अधिक बहस की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में सात पापों में से एक माना जाने वाला ‘लालच’ काफी प्रभावशाली रहा है। असल में पैसे के लिए लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह विकसित करने में मदद की है।