धर्म-कर्म

भगवान विष्णु ने दिया था गीता का ज्ञान सबसे पहले सूर्यदेव को

जब श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे तब उन्होंने ये भी बोला था कि ये उपदेश पहले भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के रूप में सूर्यदेव को दे चुके हैं। तब अर्जुन ने आश्चर्य से कहा कि सूर्यदेव तो प्राचीन देवता हैं, आप उनको ये उपदेश पहले कैसे दे सकते हैं।

जब श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे तब उन्होंने ये भी बोला था कि ये उपदेश पहले भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के रूप में सूर्यदेव को दे चुके हैं। तब अर्जुन ने आश्चर्य से कहा कि सूर्यदेव तो प्राचीन देवता हैं, आप उनको ये उपदेश पहले कैसे दे सकते हैं। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि तुम्हारे और मेरे पहले बहुत से जन्म हो चुके हैं। तुम उन जन्मों के बारे में नहीं जानते, लेकिन मैं जानता हूं। इस तरह गीता का ज्ञान सर्वप्रथम अर्जुन को नहीं बल्कि सूर्यदेव को प्राप्त हुआ था। इसके बाद सूर्यदेव ने मनु और अपनी पुत्री को सुनाया। उनसे ऋषियों ने सुना और फिर यह परम्परा चलती रही।

जब महाभारत युद्ध के मैदान में अर्जुन जब भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, भाई बन्धुओं को देख कर विचलित हो जाता है। अर्जुन श्री कृष्ण से कहने लगे कि मैं स्वजनों को मार कर युद्ध नहीं कर सकता, इससे अच्छा मै भिक्षा मांग लूंगा। तब अर्जुन के सारथी बने श्री कृष्ण, शांति से अर्जुन के प्रश्न सुनते हैं। उसी समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर उनका मोहमाया को दूर किया था।

श्री कृष्ण ने गीता का जो उपदेश अर्जुन को दिया वह अर्जुन के अतिरिक्त हनुमान जी, संजय और फिर संजय द्वारा धृतराष्ट्र को सुनाया गया। इसके अतिरिक्त भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक, जिन्हें श्री कृष्ण द्वारा वरदान प्राप्त था कि उनका सिर कोरवों और पांडवों के इस युद्ध को अंत तक देख सकता हैं।

जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया तब हनुमान जी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान थे। जबकि संजय को वेद व्यास जी ने दिव्य दृष्टि प्रदान की थी, जिससे वह युद्ध में जो घटनाक्रम चल रहा है, वह नेत्रहीन धृतराष्ट्र को बता सके। इस तरह संजय ने भी श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को कहा गया गीता का उपदेश सुना। धृतराष्ट्र ने गीता का उपदेश संजय के मुख से वैसे ही सुना, जैसे श्री कृष्ण अर्जुन को सुना रहे थे। धृतराष्ट्र को छोड़ कर बाकी सभी ने श्री कृष्ण के विराट विश्वरूप को भी देखा था।