नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान करते हुए भारत के चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कई कड़े नियम तय किए हैं। चुनावी घोषणापत्र को लेकर आयोग ने सख्ती से कहा है कि सभी पार्टियों को अपने वादों के बारे में स्पष्टता से बताना होगा। शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि पार्टी घोषणापत्रों के बारे में विचार-विमर्श जारी है। किसी भी चुनावी वादे के बारे में स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह कैसे व्यवहार्य है। उन्होंने कहा कि पार्टियों को बताना होगा कि उनका वादा कैसे पूरा होगा?
चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल लगातार एक-दूसरे दल से होड़ करते रहे हैं ताकि वे बेहतरीन मुफ्त सौगात ऑफर कर सकें। राजनेता संभावित मतदाताओं को जीतने के लिए मुफ्त पानी से लेकर मुफ्त स्मार्टफोन तक, हर चीज का वादा करते हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग भी सख्ती रवैया अपना लिया है।
चुनाव आयोग ने चुनावी रेवड़ी पर विगत 4 अक्टूबर को राजनीतिक दलों से ऐसे वादे न करने को कहा, जिन्हें आर्थिक धरातल पर पूरा करना संभव न हो। इस संदर्भ में कोई आचार संहिता बनाने से पहले आयोग ने राजनीतिक दलों से राय मांगी है। आयोग का प्रस्ताव है कि मुफ्त की सौगातें देने का वादा करने पर राजनीतिक दलों को उसके व्यावहारिक पक्ष के बारे में विवरण भी देना होगा कि वित्तीय धरातल पर वह पूरे होने लायक हैं या नहीं।
आयोग के प्रस्ताव में कहा गया है कि आखिर जनता को मालूम होना चाहिए कि वह जिन आकर्षक वादों की वजह से किसी दल को चुनना चाहती है, उन्हें पूरा करने में वह दल कितना सक्षम है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
आयोग ने सख्त किए नियम
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर लगातार नजर रखी जाएगी और किसी भी फर्जी खबर पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। दंडात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य में किसी भी तरह की अवैध सामग्री न पहुंचे इसके लिए सभी एयरपोर्ट भी सतर्क रहेंगे।
इससे पहले आयोग ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी। यहां एक ही चरण में 12 नवंबर को वोटिंग होगी जबकि 8 दिसंबर को मतगणना की जाएगी। इसी के साथ राज्य में आचार संहिता लागू हो गई।