नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक आयोग का गठन किया है जिसकी अध्यक्षता भारत के पूर्व चीफ जस्टिस के.जी. बालकृष्णन करेंगे दरअसल इस आयोग का गठन धर्मांपरिवर्तन करने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने पर अध्ययन करने के लिए किया गया है। रिटायर्ड IAS रविन्दर कुमार जैन और UGC की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव भी इस आयोग की हिससा होंगी।
गौरतलब है कि आयोग अध्ययन करके 2 साल के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग अध्ययन करेगा कि ऐतिहासिक रूप से सामाजिक असमानता और भेदभाव झेलते आ रहे दलित अगर संविधान के अनुच्छेद 341 में उल्लेखित धर्मों हिन्दू, सिख, बौद्ध के अलावा किसी और धर्म में परिवर्तित हो गये हैं तो क्या उन्हें धर्म परिवर्तन के बाद भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता सकता है। यानि विचार किया जाएगा कि धर्म परिर्वतन कर ईसाई या मुसलमान बन गए तो भी क्या उन्हें अनुसूचित जाति का लाभ मिल सकता है।
दरअसल सरकार ने धर्म परिवर्तन करने वालों की अनुसूचित जाति का दर्जा दिये जाने की मांग और अनुसूचित जाति वर्ग के कुछ समूहों द्वारा मांग का विरोध किए जाने को देखते हुए पूरे मामले पर गंभीरता से स्टडी के लिए इस कमिशन का गठन किया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में भी कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें ईसाई और मुसलमान बन गए दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 11 अक्टूबर को फिर सुनवाई होनी है। उम्मीद है कि सरकार सुनवाई के दौरान कोर्ट को मामले में विस्तृत अध्ययन के लिए आयोग गठित किये जाने की जानकारी देगी।