जोनाई: धेमाजी जिले के जोनाई महकमा के मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन में रेलवे ने दो नंबर मुरकंगसेलेक गांव क्षेत्र में बसी बस्ती को रेलवे की भूमि बताते हुए करीब एक हजार लोगों को अतिक्रमण हटाने की चेतावनी देते हुए फिर नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर कहा गया है कि धारा 4 की उप-धारा (2) के खंड (बी) (ii) के अनुसरण में, मैं आपसे भी व्यक्तिगत रूप से या विधिवत अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से इस मामले से जुड़े सभी भौतिक सवालों के जवाब देने में सक्षम होने का आह्वान करता हूं। व्यक्तिगत सुनवाई के लिए डीआरएम(डब्ल्यू)/आरएनवाई, एन.एफ.रेलवे के कार्यालय में 15 सितंबर को दिन के 10.00 बजे वाद के समर्थन में आप जो साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं, उसे दिखाएं। यदि आप उक्त तिथि एवं समय पर उपस्थित होने में विफल रहते हैं, तो मामले का एकपक्षीय निर्णय लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन के दोनों पार में रेलवे द्वारा भुमि अधिग्रहण करना चाहिए था । मगर कुछ रेलवे विभाग और जोनाई के राजस्व विभाग की मिलीभगत से रेलवे ट्रैक के उसपार के जमीन को राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने मियादी पट्टे कर दिया गया है। मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक के दोनों ओर पांच सौ फुट की दुरी पर रेलवे विभाग का जमीन अधिग्रहण करना था । मगर बड़ी अफसोस कि बात है कि कुछ स्वार्थी राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी के बदौलत उस पार के तीन नंबर मुरकंगसेलेक गांव को रेलवे विभाग के जमीन रेलवे ट्रैक के समीप तक मियादी पट्टे कर दिया गया।
जिसका नतीजे जोनाई राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ने इस पार के जमीन अर्थात जोनाई सदर गांव पंचायत के पांच और छह नंबर वार्ड के दो नंबर मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन ट्रैक से चौड़ाई करीब एक हजार हजार फुट और लम्बाई करीबन डेढ़ किलोमीटर जमीन को रेलवे विभाग का जमीन का नक्शा बनाकर सौंप दिया गया है। दो नंबर मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन के स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे विभाग और राजस्व विभाग का मिलीभगत का नतीजा का फल अब दो नंबर मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन के लोगों को भुगतना पड़ेगा। दो नंबर मुरकंगसेलेक रेलवे स्टेशन के कुछ बुजुर्ग लोगों का कहना है कि रेलवे ने इस पार तीन सौ फ़ीट पर एक लम्बी नाला ही रेलवे का जमीन होने की बात बताई गई थी । इतना ही नहीं रेलवे विभाग के पास 16 नवम्बर 2002 को बनाए गए रेलवे के नक्शे के अनुसार ट्रैक के तीन नंबर मुरकंगसेलेक और दो नंबर मुरकंगसेलेक के दोनों ओर एक हजार फीट रेलवे के जमीन को पुरी तरह से खाली दिखाया गया है। मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रैक के दोनों ओर करीब पचास साठ वर्षों से लोग निवास करते आ रहे हैं।