छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के महासमुंद (Mahasamund) जिले में एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां महाबली भीम और राक्षसी हिडिंबा का विवाह हुआ था। इस स्थान पर माता खल्लारी (Khallari Mata) का मंदिर है, जिनके दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। महासमुंद जिले में शहर से करीब 24 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ियों पर माता खल्लारी का मंदिर (Khallari Mata Mandir) है।
माना जाता है कि प्राचीन काल में इस स्थान को खलवाटिका के नाम से जाना जाता था। खल्लारी माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 850 सीढ़ियां चढ़कर पार करनी पड़ती है। इस देव स्थान में बड़ी खल्लारी माता के अलावा छोटी खल्लारी माता का मंदिर भी है। नवरात्रि के दौरान यहां भव्य मेला लगता है। इस क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि माता मां खल्लारी उनकी रक्षक हैं।
किवदंती है कि महाभारत काल में इस स्थान पर हिडिंब नाम का राक्षस रहता था। अज्ञातवास में महाबली भीम जब इधर से गुजरने के दौरान विश्राम कर रहे थे, तभी हिडिंब की बहन हिंडिबा भीम की बलिष्ठ शरीर को देखकर उन पर मोहित हो गई। इस बीच हिडिंब राक्षस वहां पहुंच गया और उसने भीम के साथ युद्ध किया। जिसमें भीम ने हिडिंब का वध कर दिया और माता कुंती के आदेश से राक्षसी हिंडिबा से विवाह किया।
पांडवों के यहां निवास होने के साक्ष्य मौजूद
माना जाता है कि पांडवों ने इस स्थान पर काफी दिनों तक निवास किया था, जिसके साक्ष्य आज भी मिलते हैं। इस स्थान को भीमखोज के नाम से भी जाना जाता है। खल्लारी की पहाड़ियों में ऐसे कई निशान हैं, जिन्हे भीम से जोड़कर देखा जाता है। स्थानीय मान्यताओं में चट्टानों पर बने बड़े-बड़े निशानों को भीम के शक्ति प्रदर्शन का सबूत माना जाता है। वहीं यहां भीम चूल्हा और भीम की नाव स्थान भी मौजूद हैं।
पहाड़ी पर माता के विराजमान होने की कथा
जनश्रुतियों के मुताबिक प्राचीन काल में महासमुंद के डेंचा गांव में खल्लारी माता का निवास था। देवी कन्या का रूप धारण करके खल्लारी में लगने वाले हाट बाजार में आती थी। एक बार माता को कन्या के रूप में देखकर एक बंजारा मोहित हो गया और उनका पीछा करते हुए पहाड़ी तक पहुंच गया। इस बात से क्रोधित होकर खल्लारी माता ने बंजारे को श्राप देकर उसे पत्थर में परिवर्तित कर दिया और खुद भी वहां स्थापित हो गई।