नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार को हरियाणा में स्वदेशी रूप से विकसित 2 जी (2G) तकनीक का उपयोग करके कृषि कचरे से इथेनॉल (Ethanol Plant) के उत्पादन के लिए 900 करोड़ रुपये के संयंत्र का उद्घाटन करके विश्व जैव ईंधन दिवस (World Biofuel Day) के रूप में चिह्नित किया। उन्होंने कहा कि इस संयंत्र से दिल्ली और उसके पड़ोस को प्रदूषण को कम करके आसानी से सांस लेने में मदद मिलेगी।
देश में अपनी तरह का पहला संयंत्र, जिसे इंडियनऑयल द्वारा अपने पानीपत रिफाइनरी परिसर में बनाया गया है, भारत को अमेरिका और ब्राजील के साथ लीग में रखता है, एकमात्र देश जिनके पास अब तक 2जी इथेनॉल तकनीक थी। पीएम ने कहा, “शॉर्ट-कट का पालन करने के बजाय, हमारी सरकार समस्याओं के स्थायी समाधान में लगी हुई है। वर्षों से पराली जलाने की समस्या के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। लेकिन शार्टकट मानसिकता वाले इसे हल नहीं कर सके।”
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पराली जलाने की मजबूरी से जिन किसानों का नाम खराब हो रहा था, वे अब जैव-ईंधन के उत्पादन और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का गौरव महसूस करेंगे।
पानीपत संयंत्र हरियाणा के किसानों को, जहां चावल और गेहूं बहुतायत में उगाए जाते हैं, फसल अवशेषों को जलाने के लिए एक आर्थिक रूप से फायदेमंद विकल्प देगा, जो सर्दियों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को चोक कर देता है। पीएम ने कहा कि यह जलाने के बजाय पराली को उचित उपयोग में लाने की व्यवस्था बनाकर प्रदूषण को कम करेगा और गांवों में आजीविका के नए अवसर प्रदान करेगा।
संयंत्र प्रतिदिन 100 किलो लीटर एथेनॉल उत्पादन के लिए दो लाख टन चावल के भूसे की खरीद करेगा। देश की कार्बन कटौती वास्तुकला के हिस्से के रूप में 2025 तक पेट्रोल के 20% सम्मिश्रण को प्राप्त करने के लिए इथेनॉल की मांग को पूरा करने के लिए राज्य द्वारा संचालित तेल कंपनियों द्वारा तीन और इकाइयाँ बनाई जा रही हैं।
तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश ने पेट्रोल के 10% इथेनॉल मिश्रण को प्राप्त करके तेल आयात बिल में 41,500 करोड़ रुपये की बचत की है, जबकि किसानों को अतिरिक्त आय में 40,600 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। कार्बन उत्सर्जन में भी अब तक 27 लाख टन की कमी आई है।
मोदी ने कहा कि जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्टकट अपनाकर समस्याओं से बचने की प्रवृत्ति होती है, वे कभी भी समस्याओं को स्थायी रूप से हल नहीं कर सकते। शार्ट-कट अपनाने वालों को कुछ समय के लिए वाहवाही मिल सकती है और राजनीतिक लाभ मिल सकता है। लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं होता है। शार्ट-कट अपनाने से शार्ट-सर्किट जरूर होगा।
उन्होंने कहा, “हमारे जैसे देश में जो प्रकृति की पूजा करता है, जैव ईंधन प्रकृति की रक्षा का एक पर्याय है। हमारे किसान भाई-बहन इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। हमारे लिए जैव ईंधन का मतलब है हरित ईंधन, पर्यावरण की बचत करने वाला ईंधन।”
मोदी ने कहा, “हमारे किसान कुछ भी बर्बाद नहीं करते हैं। बीज बोने से लेकर फसल को बाजार तक ले जाने तक वे अपने खेतों से निकलने वाली हर चीज का इस्तेमाल करते हैं। अनाज पैदा करने वाले खेत भी मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध कराते हैं। कुछ लोग फसल अवशेषों का उपयोग मिट्टी के बरतन बनाने के लिए करते हैं। अधिकांश किसान यह भी जानते हैं कि अवशेषों का उचित उपयोग कैसे किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि चावल और गेहूं की प्रचुर खेती वाले हरियाणा जैसे राज्यों में सभी अवशेषों का उपभोग नहीं किया जाता है।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)