नई दिल्ली: प. बंगाल के राज्यपाल रहे एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) देश के नए उपराष्ट्रपति (Vice President) होंगे। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) को करारी शिकस्त दी। धनखड़ को 528 वोट मिले। इसमें से 15 वोट अमान्य रहे। वहीं मार्गरेट अल्वा को कुल 182 वोट मिले। इस तरह धनखड़ ने विपक्ष के उम्मीदवार को 346 मतों के भारी अंतर से हराया।
लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर उनकी जीत का औपचारिक ऐलान किया। शनिवार को संसद में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 780 में से 725 सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। टीएमसी के 34 सांसदों, सपा और शिवसेना के दो और बसपा के एक सांसद मतदान से दूर रहे।
धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने बधाई दी। उनके उपराष्ट्रपति बनने पर दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में जश्न मनाया गया। ढोल नगाड़ों के साथ भाजपा कार्यकर्ता नाचते हुए नजर आए।
इन 55 सांसदों ने वोटिंग नहीं की
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। हालांकि टीएमसी के दो सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के आदेश के बावजूद वोटिंग में हिस्सा लिया।
ये नाम शिशिर और दिव्येंदु अधिकारी के हैं। इसके अलावा सपा और शिवसेना के दो और बसपा के एक सांसद ने भी वोटिंग नहीं की। भाजपा के दो सांसदों-सनी देओल और संजय धोत्रे ने भी खराब सेहत के कारण वोट देने नहीं पहुंच सके।
पीपीई किट पहन वोट डालने पहुंचे सिंघवी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण पीपीई किट पहनकर संसद भवन पहुंचे और अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
पीएम मोदी ने डाला पहला वोट, मनमोहन सिंह पहुंचे व्हील चेयर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले संसद भवन पहुंचकर वोट डाला। पीएम मोदी के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने व्हील चेयर पर पहुंचकर वोट डाला। सोनिया गांधी समेत कांग्रेस और एनडीए के कई सांसदों ने वोटिंग की।
कृषक परिवार से उप राष्ट्रपति का सफरनामा
राजस्थान के झुंझुणूं जिले में एक सुदूर किठाना गांव में कृषक परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति तक का सफर बेहद दिलचस्प है। जगदीप धनखड़ वर्ष 1989 में जनता दल के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुणूं जिले से संसद पहुंचे थे।
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।