नई दिल्ली/लखनऊ: केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पिछले दो सालों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि 2020-21 में उत्तर प्रदेश में हिरासत में 451 मौतें दर्ज की गईं, जबकि 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 501 हो गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में हिरासत में होने वाली मौतों की कुल संख्या 2020-21 में 1,940 से बढ़कर 2021-22 में 2,544 हो गई है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुस्समद समदानी के एक सवाल के जवाब में डेटा पेश करते हुए ये आंकड़े बताए। उत्तर प्रदेश के बाद हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें पश्चिम बंगाल में हुईं। राज्य में 2020-21 में 185 मौतें और 2021-22 में 257 मौतें दर्ज की गईं।
आंकड़ों के अनुसार पिछले दो सालों में बिहार में पुलिस हिरासत में कुल 396, मध्य प्रदेश में 364 और महाराष्ट्र में 340 मौतें हुई हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने हिरासत में हुई मौतों की शिकायतों की जांच के लिए कोई तंत्र स्थापित किया है, राय ने जवाब दिया कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था ऐसे विषय हैं जो संविधान में राज्य सूची के अंतर्गत आते हैं।
एनकाउंटर में मौत मामले में जम्मू-कश्मीर अव्वल
लोकसभा में नित्यानंद राय ने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस मुठभेड़ों में मौत से संबंधित मामलों में दर्ज मामलों की सूची में 2021-22 में 45 मामलों के साथ सबसे ऊपर है।
देश भर में 2021-22 और 2020-21 में पुलिस एनकाउंटर में मौत से संबंधित कुल 151 और 82 मामले दर्ज किए गए हैं। सूची में दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ है, जिसमें 30 पुलिस मुठभेड़ों में मौत हुई है, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 27 लोग एनकाउंटर में मारे गए हैं।