रायपुर: मलेरिया नियंत्रण की दिशा में प्रदेश सरकार ने अभूतपूर्व कार्य करते हुए ‘‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़’’ की दिशा में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं । वर्ष भर पूर्व जहां प्रदेश का बस्तर संभाग मलेरिया संक्रमण का मुख्य केन्द्र होता था वहीं आज बस्तर के साथ-साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मलेरिया संक्रमण की दर अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुकी है। इस अभियान के छठवे चरण के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमों अब तक 7 लाख 6 हजार घरों में पहुंचकर 33 लाख 96 हजार 998 लोगों की मलेरिया जांच कर चुकी है। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए मरीजों का मौके पर ही इलाज शुरू किया गया।
बस्तर संभाग में मलेरिया सकारात्मकता दर 4.60 प्रतिशत से घटकर 0.21 पर पहुंचा
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छ.ग. सह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के पहले पांच चरणों का व्यापक असर दिखा है। यदि मलेरिया मुक्त छ.ग. अभियान के जनवरी 2020 के प्रथम चरण और छठवे चरण को तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो बस्तर जिले में पहले चरण में मलेरिया सकारात्मकता दर 2.05 और छठवें चरण में 0.09 प्रतिशत इसी प्रकार बीजापुर में पहले चरण में 5.45 और छठवें चरण में 0.44 प्रतिशत, दतेवाड़ा में 4.69 से 0.41 प्रतिशत, कांकेर में 0.35 से 0.02, कोंडागांव में 1.30 से 0.05, सुकमा मेे 5.80 से 0.17 और नारायणपुर में 6.64 प्रतिशत से घटकर 1.90 प्रतिशत तक की कमीं आ चुकी है। इस प्रकार पूरे बस्तर संभाग में प्रथम चरण में मलेरिया सकारात्मकता दर जहाँ 4.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी वहीं छठवें चरण में यह घटकर मात्र 0.21 ही रह गई हैं। विदित हो कि मलेरिया मुक्त छ.ग. अभियान के प्रथम चरण में 64 हज़ार 646 मलेरिया केस दर्ज किये गए थे वहीं छठवे चरण में केवल 7 हज़ार 170 केस पाए गए हैं जिनका तुरंत इलाज किया जा रहा है। पूर्व में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के नाम से संचालित इस अभियान के प्रभाव से वहां एपीआई (Annual Parasite Incidence) यानि प्रति एक हजार की आबादी में सालाना मिलने वाले मलेरिया के मरीजों की संख्या में बड़ी कमी आई है।
अभियान के अंतर्गत मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुंच विहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जांच की गई। पॉजिटिव पाए गए लोगों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया के इलाज के लिए दवाई का सेवन चालू किया गया। मितानिनों की निगरानी में उन्हें दवाईयों की पूरी खुराक खिलाई गई। अभियान के दौरान हर घर और हर व्यक्ति की जांच सुनिश्चित करने के लिए घरों में स्टीकर चस्पा कर जांच किए गए लोगों के पैर के अंगूठे में निशान लगाकर मार्किंग की जाती है।
अभियान के तहत 90 लाख मच्छरदानियों का निःशुल्क वितरण
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के महामारी नियंत्रक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस्तर संभाग में वर्ष 2018 से वर्ष 2021 तक कुल 27 लाख 11 हजार 560 एवं अन्य मलेरिया संवेदनशील जिलों में 63 लाख 84 हजार 50 मच्छरदानियों का वितरण किया जा चुका है । वर्ष 2018 से अब तक सुकमा जिले में 1 लाख 47 हजार 331, बीजापुर 1 लाख 77 हजार 885, बस्तर 7 लाख 77 हजार 729 , दंतेवाड़ा 2 लाख 83 हजार 200 , नारायणपुर 86 हजार 609, कोंडागांव 4 लाख 75 हजार 696 , कांकेर 7 लाख 63 हजार110 मच्छरदानियों का वितरण किया जा चुका है। इस वित्तीय वर्ष 11 लाख 45 हजार 408 मच्छरदानियां बांटी जाएंगी जिससे कि लोगों को मच्छरों से सुरक्षा मिल सके।
छत्तीसगढ़ से मलेरिया को खत्म करने के लिए मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का छठवां चरण 17 मई से शुरू किया गया है । मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के असर को देखते हुए राज्य के 21 ज़िलों तक इसका विस्तार किया जा चुका है । जिसके तहत छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचलों के साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मलेरिया से बचाव हेतु जागरूकता फैलाने संबंधी गतिविधियों की कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है । जिसमें लोगों को मुख्य रूप से मच्छरदानी के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करना, घरों के आसपास जमे पानी में, नालियों में डीडीटी/जले हुए तेल का छिड़काव करना, स्वच्छता रखने व घरों के आसपास मच्छर ना पनपने हेतू जरूरी उपाय बताए जा रहे हैं ।