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बैंकों की मनमानी लूट पर लगाम लगाये सरकार और RBI

बैंक आजकल मिनिमम बैलेंस के नाम पर हर महीने मनमाना पैसा वसूल रहा है, जबकि जितना फाइन लेता है, उसका नाममात्र भी ब्याज नहीं देता है। जबकि बैंक तो जनता के पैसे से ही चल रही है। मिनिमम बैलेंस के फाइन को आरबीआई को तय कर देना चाहिए, जिससे बैंक जनता को न लूट सके।

नई दिल्लीः आजकल ज्यादातर बैंक जनता को विभिन्न तरीकों से लूट (arbitrary robbery of banks) रही है और जनता को पता ही नहीं चलता है। ज्यादातर बैंकों के फाइन का अलग से SMS नहीं आता है, आखिर क्यों?

यदि 3 बार से ज्यादा दूसरी बैंकों के एटीएम से निकालते है तो जो चार्ज लगता है, उसका अलग से मैसेज नहीं आता है। यदि आपके बैंक में 1000 है और चौथी बार निकाल रहे है तो जब तक उसके ऊपर फाइन के रुपये नहीं होंगे तब तक पैसे नहीं निकलते है। आखिर क्यों?

फाइन तो बाद में लगना चाहिए, जब पैसे निकलेंगे, लेकिन चौथी बार निकालते वक्त ही फाइन का पैसा क्यों होना चाहिए? आज भी ज्यादातर एटीएम में केवल 500 के ही नोट होते है, जबकि 100 के नोट जरूरी है, यदि रात में किसी को रिक्शा इत्यादि को छुट्टा देना है तो बड़ी दिक्कत लोगो को होती है और एटीएम कार्ड तो एक ही बार कई वर्षों के लिए देते है लेकिन हर साल कार्ड का पैसा लेते है, आखिर क्यों?

बैंक आजकल मिनिमम बैलेंस के नाम पर हर महीने मनमाना पैसा वसूल रहा है, जबकि जितना फाइन लेता है, उसका नाममात्र भी ब्याज नहीं देता है। जबकि बैंक तो जनता के पैसे से ही चल रही है। मिनिमम बैलेंस के फाइन को आरबीआई को तय कर देना चाहिए, जिससे बैंक जनता को न लूट सके।

एसएमएस, मिनिमम बैलेंस, कॉर्ड का चार्ज कभी भी काट लेते है, जिससे कभी भी लोगों के चेक बाउंस हो जाते है। इसका एक फिक्स्ड डेट होना चाहिए कि यह कब कटेगा और कौन सी तारीख को कटेगा।

कई बार बैंकों की मिलीभगत की वजह से बैंक की किश्त के दिन ही यह फाइन काटा जाता है, जिससे दोनों बैंकों का फाइन लगता है।

आजकल इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग के नाम पर जनता को सबसे ज्यादा लूटा जा रहा है। आज जब किसी लोन या किश्त का चेक इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग के जरिए बैंक में आता है तो दो दिन में तीन बार चेक बाउंस दिखा दिया जाता है और दोनों तरफ की बैंक या फाइनेंस कंपनी चेक बाउंस का चार्ज लगा लेती है। जितने का चेक नहीं होता है, उससे ज्यादा फाइन हो जाता है।

यदि बैंक में किसी कारण पैसा नहीं है तो दो दिन में तीन बार चेक बाउंस कराने का क्या फायदा है? बैंकों ने यह नाजायज तरीका कमाने के लिए बना रखा है। यह बंद होना चाहिए। एक बार चेक बाउंस होने के बाद बिना पार्टी से पूछे दूबारा क्लीयेरेंस के लिए चेक नहीं भेजना चाहिए।

आजकल कई बैंक, फाइनेंस कंपनी ऑनलाइन एप्स के जरिए लोंगो को ठग रही है। ज्यादातर 10 हज़ार, 25 हज़ार या 50 हज़ार देकर 24 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक साल का ब्याज वसूला जा रहा है। ऊपर से प्रोसेसिंग फीस अलग से और ज्यादातर जनता इनके जाल में फंसती जा रही है जोकि आगे चलकर बहुत बड़ा जी का जंजाल सरकार व लोगों के लिए बन सकता है।

बैंकों की इस धांधलेबाजी को सरकार व RBI को रोकना चाहिए या ब्याज दर तय करनी चाहिए। आज जनता महँगाई व बेरोजगारी से परेशान है और कर्ज ले रही है। लेकिन यह बहुत बड़ा खतरा देश की जनता के लिए बन सकता है। समय रहते सरकार व आरबीआई को जाग जाना चाहिए, नहीं तो भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।