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जोड़ों में चोट वाले DIY बॉडी बिल्डर्स के लिए जीवनरेखा

चोटिल हुए फिटनेस प्रेमियों को अल्प अवधि में दर्द और पीड़ा से आराम देने के लिए अमेरिका में विकसित मोनो न्यूक्लियर सैल थेरेपी (mononuclear cell therapy) नामक रिजनरेटिव सर्जरी अब भारत में भी उपलब्ध हो गई है।

नई दिल्लीः रोहन कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाऊन के बाद कॉलेज खुलते ही अपने गठे हुए शरीर के साथ कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन फिटनेस के प्रति उसके जुनून ने उसे चोटों के कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंसा दिया।

उसके बाद से खर्चीली और पीड़ादायक सर्जरी की संभावनाओं ने उसकी नींदें उड़ा दीं। रोहन जैसे अनेक डू-इट-योरसेल्फ बॉडी बिल्डर और फिटनेस प्रेमी, जो प्रशिक्षित इंस्ट्रक्टर या सुपरविज़न न होने के कारण घुटने की गद्दी फटने या सॉफ्ट टिश्यू इंजरी के शिकार हो जाते हैं, वो अब कम से कम पीड़ा और अस्पताल में कम समय बिताकर अपनी सामर्थ्य फिर से प्राप्त कर सकते हैं।

चोटिल हुए फिटनेस प्रेमियों को अल्प अवधि में दर्द और पीड़ा से आराम देने के लिए अमेरिका में विकसित मोनो न्यूक्लियर सैल थेरेपी (mononuclear cell therapy) नामक रिजनरेटिव सर्जरी अब भारत में भी उपलब्ध हो गई है।

यह प्रोप्रायटरी एमएनसी तकनीक मरीजों को क्षतिग्रस्त मुलायम टिश्यू, जैसे घुटने की गद्दी फटने, लिगामेंट टूटने और कार्टिलेज़ का इलाज करने में मदद करती है, जिससे उनके कंधे व घुटने बिना किसी एंथ्रोस्कोपिक सर्जरी के ठीक हो जाते हैं।

डॉ. मधुर चड्ढा, हेड, रिजनरेटिव मेडिसीन, एक्सिक क्लिनिक ने कहा, ‘‘10 में से आठ मरीज ज्वाईंट एंथ्रोस्कोपिक सर्जरी की जगह एमएनसी करा सकते हैं।’’

नए युग की एमएनसी तकनीक का यूएसपी यह है कि यह कम से कम समय तक अस्पताल में रोककर की जा सकती है और मरीज ओपीडी मोड में भी इलाज करा सकते हैं।

अमेरिकन बास्केटबॉल स्टार कोबे ब्रायंट, जिनकी चोट ने उनका करियर लगभग समाप्त कर दिया था, उनकी तरह ही, भारत में जिम में चोटिल हुए मरीज एमएनसी इलाज के बाद केवल 12 हफ्तों में ही अपना वर्कआउट फिर से शुरू कर सकते हैं।

जिम से जुड़ी चार लाख चोटों पर यूके में किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि गहन वर्कआउट के दौरान पाँच में से दो जिम यूज़र्स अपने जोड़ों व टिश्यू में चोट का शिकार होते हैं। इन चार लाख मामलों में से, लगभग 30 प्रतिशत चोटें घुटनों से जुड़ी और लगभग 12 प्रतिशत चोटें कमर से जुड़ी थीं।

एक्सिस क्लिनिक में इंटरवेंशनल पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट, डॉ. सौरभ गर्ग ने बताया कि जिम में फिट रहने का सबसे अच्छा तरीका है कि ट्रेनर के सुझाव व सावधानी के साथ वर्कआउट किया जाए।

लेकिन जिम में चोट लगने पर यह बहुत जरूरी है कि किसी विशेषज्ञ का परामर्श लिया जाए और ज्वाईंट ऑर्थ्राेस्कोपिक सर्जरी की ओर भागने की बजाय रिजनरेटिव एमएनसी के विकल्प पर भी विचार किया जाए।

डॉ. गर्ग ने बताया कि, ‘‘सर्जरी में काफी समय लगता है और पीड़ा होती है, जबकि एमएनसी में पीड़ा की संभावना बहुत कम होती है। एमएनसी में मरीज के शरीर से निकाली गई सैल्स द्वारा टिश्यू व ज्वाईंट्स का इलाज किया जाता है।’’

डॉ. चड्ढा ने कहा, ‘‘एमएनसी पश्चिमी देशों में भी लोकप्रिय है। अमेरिका में मरीज को ज्वाईंट ऑथ्रोस्कोपिक सर्जरी कराने से पहले रिजनरेटिव हीलिंग का विकल्प दिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।’’

परंपरिक ज्वाईंट ऑथ्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में यह सस्ती होने के कारण एमएनसी तकनीक की ओर झुकाव बढ़ जाता है।

डॉ. गर्ग ने कहा, ‘‘एमएनसी मरीजों को स्वास्थ्य लाभ कम समय में प्राप्त हो जाता है, जो इस तकनीक का मुख्य फायदा है।’’

डॉ. चड्ढा ने कहा कि एक्सिस क्लिनिक एक स्पेशियल्टी ऑर्थाे सुविधा है, जो एक प्रोप्रायटरी तकनीक का इस्तेमाल कर प्रिवेंटिव ऑर्थाेपीडिक्स में अग्रणी है। यह तकनीक अमेरिकन स्पोर्ट्स इंजरी क्लिनिक द्वारा विकसित की गई है।