नई दिल्ली : प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कुछ देर पहले ही यासीन मलिक को हवालात से कोर्टरूम लाया गया और उसे बैठने के लिए कुर्सी दी गई। पहले मलिक की सजा पर पहले 3.30 बजे फैसला आना था, फिर इसे 4 बजे तक के लिए टाल दिया गया था।
इससे पहले गुरुवार को कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया था। यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल कर लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
सजा पर बहस के बाद फैसला सुरक्षित
इससे पहले यासीन मलिक को दिल्ली की पटियाला कोर्ट लाया गया, जहां सजा पर बहस हुई। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। पटियाला कोर्ट परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। पटियाला कोर्ट के बाहर CAPF, स्पेशल सेल के जवानों की तैनाती की गई है।
कोर्ट दिल खोलकर सजा दें, कुछ नहीं बोलूंगा : यासीन
कोर्ट में मौजूद वकील फरहान ने बताया कि यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा की वो सजा पर कुछ नही बोलेगा। कोर्ट दिल खोल कर उसको सजा दे। यासीन ने कहा कि मेरी तरफ से सजा के लिए कोई बात नहीं होगी। वहीं, NIA ने यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की। इसके बाद यासीन 10 मिनट तक शांत रहा। यासीन ने कोर्ट में कहा कि मुझे जब भी कहा गया मैंने समर्पण किया, बाकी कोर्ट को जो ठीक लगे वो उसके लिए तैयार है।
कोर्ट ने ठहराया दोषी
कोर्ट ने माना है कि मलिक ने ‘आजादी’ के नाम जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था। NIA ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था। इस मामले में एक दर्जन के अधिक लोगों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की गई थी। NIA ने कोर्ट में कहा था, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया।
कोर्ट में किया गुनाह कबूल
यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।