छत्तीसगढ़

स्वरोजगार एवं नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम

आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। ऐसे ही महिलायें विभिन्न क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बना रही है। पुराने समय में वाहन चालक का काम सिर्फ पुरूषो तक ही सीमित था। परन्तु अब इस क्षे़त्र में महिलाएं भी बेहत से बेहतर काम कर रही है। जिले के शैलमनी भी उन्हीं में से एक है। जो कि महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है।

दन्तेवाड़ा: आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। ऐसे ही महिलायें विभिन्न क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बना रही है। पुराने समय में वाहन चालक का काम सिर्फ पुरूषो तक ही सीमित था। परन्तु अब इस क्षे़त्र में महिलाएं भी बेहत से बेहतर काम कर रही है। जिले के शैलमनी भी उन्हीं में से एक है। जो कि महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है।

विकासखण्ड दन्तेवाड़ा अंतर्गत ग्राम पुरनतरई की रहने वाली महिला शैलमनी ई-रिक्शा की चालक है। शैलमनी बताती है कि पहले मैं किसी की बेटी, बहन के नाम से जानी जाती थी लेकिन अब मुझे मेरे काम से एक नई पहचान मिली है। यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। वे बताती है कि जब भी वह घर से बाहर निकलती है तो लोग उनकी सराहना करते है।

इससे पहले शैलमनी गांव में कृषि कार्य, पशु चराने एवं घर के कार्य तक सीमित थी। उनके घर में उनके माता-पिता एवं एक भाई है। जो कृषि कार्य करते है। पर्याप्त खेती की जमीन नहीं होने के कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। तब शैलमनी कुछ काम कर अपने परिवार का सहयोग करना चाहती थी। जिससे परिवार का आर्थिक सुधार हो सके। और वह घर की आवश्यक चीजों की पुर्ति कर सके।

शैलमनी नारी शक्ति ग्राम संगठन पुरनतरई से जुड़ कर कार्य करने लगी। इस संगठन में कुल 15 सदस्य है, जो विभिन्न प्रकार की कार्य-जैसे किराना दुकान का संचालन, सिंलाई आदि का कार्य कर रही है। उन्हीं में से शैलमनी ई-रिक्शा चालक का काम करती है। शैलमनी बताती है कि गांव के संरपच के माध्यम से पता चला की लाईवलीहुड कॉलेज दंतेवाड़ा में आजीविका के बहुत से क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रशिक्षण प्राप्त कर किसी निजी संस्था, फर्म आदि में काम मिल सकता है। अथवा अपना खुद का भी कार्य कर सकते है। शैलमनी ने जिला परियोजना लाईवलीहुड कॉलेज में फार्म जमा कर आटो-रिक्शा चालक का प्रशिक्षण प्राप्त किया। अब मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्राप्त ई-रिक्शा का संचालन ग्राम-पुरनतरई से दंतेवाड़ा-कारली तक कर रही है।

वे बताती है कि पहले दिन जब शैलमनी ई-रिक्शा चला रही थी तो सवारी बुलाने के लिए आवाज नहीं निकल पा रही थी। उन्हें ऐसा लग रहा था कि सब उसे देख रहे है। बहुत हिम्मत करने के बाद धीरे-धीरे सवारी लेने लगी।

शैलमनी को अपने अंदर का डर दूर करने में दो महिने का समय लगा अब शैलमनी को प्रतिदिन 500 रूपये से 800 रूपये तक ई-रिक्शा चलाने पर आमदनी होती है। अब लोग उनकी ओर सम्मान की नजर से दखते है। जिला परियोजना लाईवलीहुड कॉलेज दंतेवाड़ा द्वारा ऐसे 40 महिलाओं को ई-रिक्शा चालक का प्रशिक्षण दिया गया है।