नई दिल्ली: फर्जी खबर फैलाने वाले 6 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों (Pakistani YouTube Channels) के साथ भारत से चलने वाले 10 अन्य यूट्यूब चैनलों (YouTube Channels) पर बैन लगा दिया गया है। भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर इन्हे ब्लॉक कर दिया गया है। बैन किए गए इन सभी चैनलों की कुल मिलाकर 68 करोड़ के करीब व्यूअरशिप थी। सरकार का मानना है कि इन चैनलों का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने के लिए किया जा रहा था। इसके अलावा देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से भी इन चैनलों पर सही बात नहीं कही जा रही थी।
उपरोक्त चैनलों पर भारत के विदेश मामलों, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक व्यवस्था को लेकर भी गलत टिप्पणियांकी जा रही थीं। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक इन चैनलों में से किसी ने भी आईटी रूल्स, 2021 के तहत केंद्र सरकार को अपने प्रसारण के बारे में जानकारी नहीं दी थी।
मंत्रालय ने कहा कि भारत से चलने वााले कुछ यूट्यूब चैनलों में एक समुदाय विशेष को आतंकवादी कहकर संबोधित किया जा रहा था। इससे अलग-अलग समुदायों के बीच वैमनस्यता पैदा होने का खतरा था। ऐसी सामग्री समाज में उपद्रव और दुर्भावना की स्थिति पैदा कर सकती थी। इसके अलावा व्यवस्था के भी बिगड़ने का खतरा था। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए ही इन चैनलों को ब्लॉक करने का फैसला लिया गया।
भारत के खिलाफ पाक चैनलों दी जा रही थीं फर्जी खबरें
मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान स्थित चैनलों से भारत के खिलाफ सुनियोजित ढंग से फर्जी सूचनाओं का प्रसारण किया जा रहा था। भारतीय सेना, जम्मू कश्मीर, भारत के विदेश मंत्राल, यूक्रेन की स्थिति जैसे मसलों पर गलत जानकारी का प्रसारण लगातार किया जा रहा था।
इन चैनलों का कॉन्टेंट पूरी तरह से गलत पाया गया था। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और देश की अखंडता के लिहाज से भी यह सही नहीं था।
लॉकडाउन लगने व कुछ धर्मों के खिलाफ फैलाई जा रही थीं अफवाहें
भारत सरकार का कहना था कि देश से ही चलने वाले कई चैनल ऐसे भी थे, जिनमें बिना किसी वेरिफिकेशन के ही समाचारों का प्रसारण हो रहा था। गलत वीडियोज दिखाए जा रहे थे, जिससे समाज के अलग-अलग वर्गों में भय की स्थिति पैदा हो जाए। बयान में कहा गया है कि फेक न्यूज के कुछ उदाहरण हैं कि कई बार गलत जानकारी दी गई कि सरकार पूरे भारत में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है। इसके चलते प्रवासी मजदूरों में डर का माहौल पैदा हुआ। इसके अलावा कुछ धर्मों को लेकर भी गलत जानकारी दी गई और उनके अनुयायियों को खतरा होने की बातें कही गईं। इस कारण देश की व्यवस्था के भंग होने का खतरा भी था।