नई दिल्लीः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने नेफेड के सहयोग से राजस्थान के कोटा जिले के किसानों तथा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों के साथ एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पीएमएफएमई योजना के ब्रांडिंग और विपणन घटक पर सूक्ष्म खाद्य उद्यमियों को संवेदनशील बनाना और नेफेड के तहत ओडीओपी आधारित ब्रांड 'कोरीगोल्ड' को विशेष रूप से विकसित करना था। कोरीगोल्ड ब्रांड के तहत धनिया पाउडर और धनिया की चटनी उत्पाद बनाने का उद्देश्य है।
वर्कशॉप का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र, राजस्थान में किया गया जिसमे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नेफेड, केवीके कोटा, राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड, कृषि उपज मंडी समिति, राज्य नोडल अधिकारी, जिला संसाधन व्यक्ति और जिला नोडल अधिकारी (पीएमएफएमईयोजना) के प्रतिनिधियों के साथ लगभग 18 सूक्ष्म खाद्य उद्यमों, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों ने भाग लिया।
वर्कशॉप में सूक्ष्म उद्यमियों को PMFME योजना के ब्रैंडिंग और मार्केटिंग कॉम्पोनेन्ट के बारे में बताया गया साथ ही साथ नेफेड के कोरीगोल्ड ब्रांड के फायदे बताये गए जिससे वह उस ब्रांड से जुड़ सके।
पीएमएफएमई योजना के तहत 10 उत्पादों के लिए विपणन और ब्रांडिंग समर्थन लेने के लिए नेफेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है।
पीएमएफएमई योजना के बारे में
आत्मनिर्भरभारत अभियान के अंतर्गत शुरू की गई, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित खंड में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना, क्षेत्र के औपचारिकता को बढ़ावा देना और किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और उत्पादकों को उनकी पूरी मूल्यश्रृंखला के साथ सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है। वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ इस योजना में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे सहायता देने की परिकल्पना की गई है।
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