बिहार की मधुबनी जिले के मंगरौनी ग्राम में ऐसा अद्भुत श्री श्री 108 एकादश रूद्र महादेव मंदिर है। यह मधुबनी बस स्टैंड से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कराची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जब आए थे तो एक ही शक्तिपीठ वेदी पर भगवान शंकर के 11 अलौकिक रुप को देखकर भावुक हो गए और कह उठे कि इस तरह का मंदिर विश्व में एकमात्र है। यहां तांत्रिक विधि से शिव के 11 लिंग रूपों को स्थापित किया गया है।
मंत्र की महिमा
मनोनीत मंदिर के अधिकारी पंडित आनंद झा उर्फ बाबा आत्माराम उत्साह पूर्वक बताते हैं कि 4 मई 1997 को इस मंदिर में जगन्नाथ पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती आए थे। यहां की छटा देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और तुरंत पुजारी बाबा आत्माराम से महादेव की पूजा-अर्चना करने की इच्छा जाहिर की। बाबा आत्माराम बताते हैं कि महादेव का मंत्र ओम नमः शिवाय है लेकिन जिस मंदिर के संस्थापक तांत्रिक पंडित भुनेश्वर झा 1996 अक्षरों के मंत्रों के स्थान पर तैयार किया गया ओम नमः शिवाय एकादश रूद्र मंत्र सुनकर शंकराचार्य ने कहा कि आज आदि गुरु शंकराचार्य तो वह भी यही मंत्र ओम एकादश रूद्र का अनुसरण करते। आज से मैं इसी मंत्र का जाप करूंगा। इस मंत्र के एक सौ बार जाप करने से 12 सौ जाप का फल मिलता है।
विभिन्न तरह के आकृतियां
यहां आकर भक्तों को अध्यात्मिक गिफ्ट मिलता है। एक ही सत्य विधि पर स्थापित इन शिवलिंग के ऊपर विभिन्न तरह के आकृतियां उभरने लगी। इन आकृतियों को बनना अभी भी जारी है। बड़े उत्साह और आनंद पूर्वक वह इस विस्तृत रूप से सभी दर्शनार्थियों को शिवलिंग के बारे में जानकारी देते हैं।
अर्धनारीश्वर का रूप
महादेव का विगत 30 जुलाई 2001 को अर्धनारीश्वर का रूप प्रकट हुआ। कामाख्या माई का भव्य रुप है। पांच में सोमवार के दिन गणेश जी गर्भ में प्रकट हुए शिवलिंग पर रुख स्पष्ट नजर आती है। गीता के दसवें अध्याय में श्री कृष्ण ने कहा है कि मैं शंकर हूं। इस लिंग में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र बांसुरी और बाजूबंद स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है. नील लोहित जय महादेव ने विषपान किया था जब उनका नाम नील लोहित पड़ गया था।
भीम महादेव का एक रूप
इस लिंग में सांप एवं उनका अक्षर प्रकट हुआ है। हिमालय पर निवास करने वाले महादेव इसे केदार कहते हैं। विगत 9 जुलाई 2001 सावन के पहले सोमवार को राजेश्वरी का रूप प्रकट हुआ और पांच मुखी शिवलिंग प्रगट हुआ। इसके अलावा कार एवं महाकाल की गधा भी दिखाई पड़ती है. विजय शिवलिंग में छवि बन जा रही है आकृति योग्य स्पष्ट नहीं है। भीम महादेव का एक रूप भी है। इस शिवलिंग में गदा की छवि उभर कर सामने आई है। गदा का डंडा अभी धीरे-धीरे प्रगट हो रहा है। इस शिवलिंग में नीचे दो भागों में छुट्टी कितने फुट कशिश में मिल रही है। साथ ही त्रिशूल का भी दृष्टिगोचर होता है।
बजरंगबली का रूप
इस शिवलिंग में उमाशंकर आकृति प्रगट हुई है। दोनों आकृति धीरे-धीरे बढ़ रही है। कपालेश्वर महादेव का यह रूप बजरंगबली का है। बाबा आत्माराम कहते हैं कि बजरंग बल ब्रह्मचारी थे इसलिए क्षमता इस लिंग में कोई चित्र नहीं भर रहा है। किसी दिन या शिवलिंग अपने आप पूरा लाल हो जाएगा। इस एकादश रूद्र महादेव मंदिर के पूजारी आत्माराम जी के अनुसार प्रसिद्ध तांत्रिक भुनेश्वर जाने ने वर्ष 1953 में इस मंदिर की स्थापना की थी। सभी शिवलिंग काले ग्रेनाइट पत्थर के हैं जो 200 वर्ष से अधिक पुराने हैं. प्रत्येक सोमवार की शाम को दूध, दही, घी, मध,ु पंचामित्र, चंदन आदि से गोपाल सिंगार दर्शन होता है। सोमवार शाम को यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि यहां का प्रसाद खाने से शरीर का सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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