नई दिल्लीः भाजपा छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की ट्विटर पर भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता के साथ वाकयुद्ध हो गया। स्वपन दासगुप्ता के इस दावे के जवाब में कि बाबुल सुप्रियो के ‘दलबदल से उनकी अपनी छवि को नुकसान पहुंच सकता है’, सुप्रियो ने पलटवार किया कि फिर वही ‘प्रतिद्वंद्वी’ के बारे में सच होना चाहिए जो भाजपा में शामिल हो गए थे और उन्हें इस साल की शुरुआत में शीर्ष पद दिए गए थे।
बाबुल सुप्रियो ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘क्या मैंने पक्ष बदलकर इतिहास रच दिया? खैर, सभी ‘प्रतिद्वंद्वी’ जो भाजपा में शामिल हो गए, उन्हें गले लगा लिया गया और शीर्ष पदों पर बैठा दिया गया। सभी ‘असली’ भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए। उन्हें भी पार्टी से निकाल दिया जाना चाहिए।’’
राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने भी अपने ट्वीट में कहा था कि बाबुल सुप्रियो के टीएमसी में शामिल होने के बाद बीजेपी समर्थकों का गुस्सा और आम लोगों का ‘घृणा’ का शिकार होंगे। इसके जवाब में बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने ये बात मान ली, लेकिन उनका गुस्सा भी ‘सही’ है।
बाबुल सुप्रियो ने दलबदल की लहर का जिक्र करते हुए लिखा, ‘‘इसी बाबुल के बारे में क्या सार्वजनिक रूप से ‘बाहरी लोगों’ को भाजपा में शामिल करने का विरोध कर रहे थे? क्या भाजपा ने अपनी छवि के लिए अच्छा किया था? कृपया उन्हीं समर्थकों से पूछें जिन्हें इन ‘बाहरी’ लोगों ने दरकिनार कर दिया था।’’
शनिवार को स्वपन दासगुप्ता ने ट्वीट किया था कि उन्हें इस बात का दुख है कि बाबुल सुप्रियो ने बीजेपी छोड़ दी थी और उन्हें पार्टी की ‘संपत्ति’ कहा था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के टीएमसी में शामिल होने का फैसला, यह दावा करने के महीनों बाद कि वह ‘सक्रिय राजनीति’ छोड़ रहे हैं, विभिन्न राजनेताओं की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के साथ मिले हैं। जहां महुआ मोइत्रा जैसे टीएमसी नेताओं ने उनका स्वागत किया, वहीं दिलीप घोष और सुवेंदु अधिकारी जैसे भाजपा नेताओं ने कहा कि टीएमसी में उनका कदम उनके लिए कोई बड़ी क्षति नहीं है।
टीएमसी में शामिल होने के बाद, बाबुल सुप्रियो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि टीएमसी में शामिल होने का उनका फैसला ‘बदले की राजनीति’ नहीं है, बल्कि ‘अवसर की राजनीति’ है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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