छत्तीसगढ़

स्तनपान है शिशुओं का सर्वोत्तम आहार और मौलिक अधिकार भी

रायपुर : अगस्त माह का प्रथम सप्ताह ‘विश्व स्तनपान सप्ताह‘ के रूप में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है।  स्तनपान शिशुओं के लिए ना केवल सर्वोतम आहार है बल्कि उनका मौलिक अधिकार भी हैं। स्तनपान सप्ताह के लिय इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी ’’प्रोटेक्ट ब्रेस्टफिडिंगः अ […]

रायपुर : अगस्त माह का प्रथम सप्ताह ‘विश्व स्तनपान सप्ताह‘ के रूप में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है।  स्तनपान शिशुओं के लिए ना केवल सर्वोतम आहार है बल्कि उनका मौलिक अधिकार भी हैं। स्तनपान सप्ताह के लिय इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी ’’प्रोटेक्ट ब्रेस्टफिडिंगः अ रेसपांसबिलिटी’’ इस बात पर जोर देती हैं कि स्तनपान पूरी दुनिया भर में सभी के अस्तित्व, स्वास्थ्य और देखभाल में अपना योगदान देती है। स्तनपान की सुरक्षा पूरी मानव जाति की जिम्मेदारी हैं।

माँ का दूध अमृत समान होता है। इसका सेवन हर बच्चे का हक है। माँ भी पहली बार जब बच्चे को स्तन से लगाती है प्रसव पश्चात् होने वाली समस्त पीड़ा को भूल जाती है। स्तनपान माँ और बच्चे दोनों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

भारत सरकार ने वर्ष 2016 में स्तनपान ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिये ‘माँ‘ कार्यक्रम की शुरूवात की थी। माँ कार्यक्रम के अंतर्गत सभी चिकित्सा इकाईयों को ‘बेबी फेण्डली‘ बनाने की आवश्यकता हैं। 

स्तनपान से शिशु एवं बाल जीवितता पर अहम प्रभाव पड़ता है, जिन शिशुओं को एक घण्टे के अन्दर स्तनपान नहीं कराया जाता हैं उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33 प्रतिशत अधिक होती हैं।

 06 माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर सामान्य रोग जैसे दस्त रोग एवं निमोनिया के खतरंे में क्रमशः 11 प्रतिशित व 15 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती हैं। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है।

माँ के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता हैं। छःमाह तक ऊपर से पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। नवजात शिशु की मॉग के अनुसार स्तनपान कराया जाये, यानि जितनी बार शिशु चाहे उसे उतनी बार स्तनपान करायें। बच्चे को चुसनी, निप्पल अथवा सूदर (चबाने के लिये मुलायम खिलौने) आदि नहीं दिया जाना चाहिए।

माँ के दूध में आवश्यक पोषक तत्व, खनिज विटामिन, प्रोटीन वसा, एन्टीबाडीज और ऐसे प्रतिरोध कारक मौजूद होते है, जो नवजात शिशु के सम्पूर्ण विकास और स्वास्थ्य के लिये आवश्यक हैं। शिशु के जन्म से छः माह तक माँ का दूध ही बच्चे के लिये सम्पूर्ण आहार की सभी जरूरते पूरी करता हैं।

स्तनपान बच्चे और माँ के बीच भावनात्मक संबंधों को मजबूत करता है। बच्चे को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने में मदद करता हैं। 

माँ का दूध सुपाच्च होता है। यह शिशु के पाचन क्रिया के अनुरूप निर्मित होता है। माँ के दूध में है, मौजूद कैल्शियम शिशु के द्वारा अवशोषित कर लिये जाते है, जो हडिडयों को मजबूत बनाते है।

स्तनपान के द्वारा मां को ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के खतरे कम किया जा सकता है। प्रसव पश्चात् होने वाले रक्त स्त्राव को कम करता हैं। परिवार नियोजन के लिये लाभदायक स्तनपान वजन कम करने में सहायक होता है। जब माँ अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं तो उसका शरीर लगभग 450 से 500 कैलोरी खर्च करता है. इससे प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने में मदद मिलती हैं।

स्तनपान एक स्वभाविक व जलवायु हितैषी प्रक्रिया है जिससे कचरे व प्रदूषण का सृजन नही होता हैं।  मां के दूध के विकल्प के रूप में बाजार में उपलब्ध  जैसे कि ब्रेस्ट मिल्क सब्सिट्यूट अल्ट्रा प्रोसेस्ड फुड पदार्थ होते हैं। इनके उत्पादन, पैकेजिंग, वितरण, मार्केटिंग और उपयोग की प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है और पृथ्वी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता हैं। वही माँ के दूध के विकल्प के उपयोग में बोतल, निप्पल, कंटेन्ट आदि सामग्री भी उत्पन्न होती है। जिसके निपटाने की भी जरूरत पड़ती है, यही वजह है कि विशेषज्ञ स्तनपान को पर्यावरण हितैषी मानते हैं।

Comment here

छत्तीसगढ़

स्तनपान है शिशुओं का सर्वोत्तम आहार और मौलिक अधिकार भी

रायपुर : अगस्त माह का प्रथम सप्ताह ‘विश्व स्तनपान सप्ताह‘ के रूप में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है।  स्तनपान शिशुओं के लिए ना केवल सर्वोतम आहार है बल्कि उनका मौलिक अधिकार भी हैं। स्तनपान सप्ताह के लिय इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी ’’प्रोटेक्ट ब्रेस्टफिडिंगः अ […]

रायपुर : अगस्त माह का प्रथम सप्ताह ‘विश्व स्तनपान सप्ताह‘ के रूप में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है।  स्तनपान शिशुओं के लिए ना केवल सर्वोतम आहार है बल्कि उनका मौलिक अधिकार भी हैं। स्तनपान सप्ताह के लिय इस वर्ष की थीम ‘स्तनपान की रक्षा एक साझी जिम्मेदारी ’’प्रोटेक्ट ब्रेस्टफिडिंगः अ रेसपांसबिलिटी’’ इस बात पर जोर देती हैं कि स्तनपान पूरी दुनिया भर में सभी के अस्तित्व, स्वास्थ्य और देखभाल में अपना योगदान देती है। स्तनपान की सुरक्षा पूरी मानव जाति की जिम्मेदारी हैं।

Continue reading “स्तनपान है शिशुओं का सर्वोत्तम आहार और मौलिक अधिकार भी”

Comment here