नई दिल्लीः उत्तराखंड में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में शनिवार को चुने जाने के बाद मौजूदा विधायक पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। बता दें कि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। 45 वर्षीय धामी राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे और तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) की जगह लेंगे, जिन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trvendram Singh Rawat) से कार्यभार संभालने के चार महीने के भीतर शुक्रवार रात को इस्तीफा दे दिया था। पुष्कर सिंह धामी बने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे।
विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘मेरी पार्टी ने सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में जन्मे एक पूर्व सैनिक के बेटे एक आम कार्यकर्ता को लोगों की सेवा के लिए नियुक्त किया है। हम सभी के सहयोग से लोगों के मुद्दों पर काम करेंगे। मेरे पूर्वजों द्वारा जो काम हुआ है उसे मैं आगे बढ़ाऊंगा।’’ पुष्कर सिंह धामी उधम सिंह नगर जिले के खटीमा से दो बार के विधायक रह चुके हैं। चूंकि धामी अगले विधानसभा चुनाव से एक साल से भी कम समय पहले कार्यभार संभाल रहे हैं, उनकी सबसे बड़ी चुनौती उत्तराखंड में भाजपा को एक और जीत दिलाना और सत्ता बरकरार रखना है, जहां पार्टी गुटबाजी से त्रस्त है।
हालांकि, इतने कम समय में दो बार मुख्यमंत्रियों को बदलने से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। विपक्षी कांग्रेस ने उस पर ‘राजनीतिक अस्थिरता’ पैदा करने और लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया है। यह पूछे जाने पर कि क्या विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री का पद संभालना एक चुनौती होगी, धामी ने कहा, ‘‘हम चुनौती स्वीकार करते हैं और हम पार्टी को आगे बढ़ाएंगे और लोगों की सेवा करेंगे।’’ नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री ने उन पर विश्वास करने के लिए पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद दिया और आश्वासन दिया कि वह सभी के सहयोग से काम करेंगे।
धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने किया था और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में मौजूद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई विधायकों ने इसका समर्थन किया। तोमर ने कहा कि भाजपा विधायक दल के नेता के लिए कोई अन्य नाम प्रस्तावित नहीं किया गया था। भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने के तुरंत बाद, धामी सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करने के लिए कई विधायकों और केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ राजभवन गए।
गौरतलब है कि नए चेहरे के साथ विधानसभा चुनाव में जाने की उम्मीद में, भाजपा ने 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री चुना था। लेकिन उन्हें भी पद छोड़ने के लिए कहा गया क्योंकि संविधान में उन्हें राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने की आवश्यकता थी। सीएम के रूप में उनकी नियुक्ति के छह महीने के भीतर और चुनाव आयोग द्वारा इस स्तर पर उपचुनाव कराने पर अनिश्चितता बढ़ रही थी। हालांकि, विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने विकास की शुरुआत करने के बजाय उत्तराखंड को राजनीतिक अस्थिरता के दलदल में डाल दिया है और बार-बार मुख्यमंत्री बदलकर अपने लोगों को धोखा दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि नित्यानंद स्वामी से शुरू होकर, भाजपा के राज्य में आठ मुख्यमंत्री होंगे और कहा कि उत्तराखंड में भाजपा के नवीनतम साढ़े चार साल के शासन में तीन मुख्यमंत्री होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘‘देहरादून में बीजेपी का हाई ड्रामा उत्तराखंड के लोगों का अपमान है। प्रधानमंत्री ने डबल इंजन वाली सरकार देने का वादा किया था, लेकिन राज्य को केवल अलग-अलग मुख्यमंत्री मिले और कोई विकास नहीं हुआ।’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा ने लोगों के साथ विश्वासघात किया है और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी और (भाजपा अध्यक्ष) जेपी नड्डा जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा ‘‘यह भाजपा की सत्ता की लालसा, राजनीतिक अस्थिरता, सत्ता के फल बांटने और नेतृत्व की विफलता का उदाहरण है। उत्तराखंड के लोगों की सेवा करने के बजाय, उन्होंने सत्ता बांटने की कोशिश की, और इसके लिए पीएम मोदी और जेपी नड्डा जिम्मेदार हैं। भाजपा ने उत्तराखंड को एक ऐसे मोड़ पर लाया जहां सत्ता का मतलब केवल अपने फल बांटना है और कुछ नहीं।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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