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यूएन भी कर रहा भारतीय सैनिकों को सलाम, 1100 डिग्री के दहकते लावे से 6 लाख लोगों को बचाया

नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय शांति सेना दिवस मनाया गया। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि इसमें सैनिकों के योगदान के साथ भारतीय सेना के उन जवानों की तारीफ की गई, जिन्होंने पिछले हफ्ते अफ्रीकी देश कांगो में फटे निरागोंगो ज्वालामुखी के 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उबलते […]

नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय शांति सेना दिवस मनाया गया। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि इसमें सैनिकों के योगदान के साथ भारतीय सेना के उन जवानों की तारीफ की गई, जिन्होंने पिछले हफ्ते अफ्रीकी देश कांगो में फटे निरागोंगो ज्वालामुखी के 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उबलते लावे से लाखों स्थानीय लोगों को बचाया। इसके साथ ही, भारतीय सैनिकों ने दूसरे देशों के शांति सैनिकों की रक्षा भी की।

दैनिक भास्कर के मुताबिक, सेना के सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र से उन्हें एक अलर्ट मिला था कि शांति सैनिकों को वहां से तुरंत निकाला जाए। लेकिन भारतीय लीडरशिप ने एक तिहाई से अधिक जवानों को वहीं रोका ताकि वहां पर लोगों की मदद की जा सके। सेना ने एक घंटे के भीतर 3 बड़े फैसले किए। पहला- एयर एसेट्स को शिफ्ट कर दिया जाए। दूसरा- गोमा में तैनात 2300 भारतीय सैनिकों में 70 प्रतिशत को हिम्बी में कम्पनी ऑपरेटिंग बेस भेज दिया जाए। तीसरा- बाकी सैनिकों को खाली शिविरों की रक्षा, एविएशन बेस और एविएशन ईंधन के रखरखाव के लिए वहीं तैनात किया गया।

तीसरा निर्णय लोगों को बचाने में बेहद कारगर साबित हुआ। इस पोस्ट से भारतीय सेना ने बहुत जल्दी ही यह पता लगा लिया कि लावा किस ओर बह रहा है। गोमा की आबादी 6 लाख है। ज्वालामुखी फटने से शहर में दहशत फैल चुकी थी। लोग घरों को छोड़कर भाग रहे थे। ऐसे में भारतीय सेना ने शहर में जाकर लोगों को आगाह किया और बताया कि लावा पड़ोसी देश रवांडा की ओर बह रहा है। इसलिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है।

सेना के जवानों ने लावा के संभावित रास्ते की पहचान की और उसके रास्ते से नागरिकों को हटाने का आपरेशन लॉन्च कर दिया। यह सूझबूझ और साहस काम आया। अब कांगो के संयुक्त राष्ट्र शांति सेना मुख्यालय में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। कांगो में 14 हजार शांति सैनिक तैनात हैं, जिनमें से करीब 20 प्रतिशत भारतीय हैं।
बता दें कि विश्व शांति मिशनों में भारत दुनिया का बिग ब्रदर है। चीन के सैनिक हमसे तीन गुना कम हैं। भारतीय सेना ने 73 साल में 49 मिशनों में 1.95 लाख से ज्यादा सैनिक भेजे हैं। यह सबसे बड़ा योगदान है। इन मिशनों में 170 भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं। इस समय 10 मिशनों में भारत के 7676 जवान तैनात हैं।

गौरतलब है कि 29 मई 1948 से अब तक 72 शांति मिशनों में 10 लाख सैनिक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। जबकि दुनिया के 89 हजार शांति सैनिक 16 मिशनों पर तैनात हैं। पिछले 73 साल में 4000 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक अंतरराष्ट्रीय मिशनों में मारे जा चुके हैं। सबसे ज्यादा 130 ने 2020 में जान गंवाई थी।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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