नई दिल्लीः ममता बनर्जी को चुनाव आयोग ने चुनाव संहिता का उल्लंघन करने वाले भाषणों पर आज शाम 24 घंटे के लिए बंगाल में प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया। इलेक्शन कमीशन ने सोमवार शाम को इसकी घोषणा की। यह रोक सोमवार रात 8 बजे से शुरू है। मुख्यमंत्री पर मुस्लिम वोटों पर अपनी टिप्पणियों पर कानून तोड़ने और मतदाताओं से केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ विद्रोह करने का आग्रह करने का आरोप है।
चुनाव आयोग के इस फैसले से नाराज ममता बनर्जी आज कोलकाता में धरना देंगी। चुनाव आयोग की ओर नेताओं के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने का कोई पहला मामला नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग की ओर से कई नेताओं के प्रचार पर रोक लगा दी थी।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘भारत के चुनाव आयोग के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक फैसले के विरोध में, मैं कल दोपहर 12 बजे से कोलकाता के गांधी मूर्ति में धरना पर बैठूंगी।’’
बंगाल के मुख्यमंत्री को पिछले सप्ताह चुनाव आयोग द्वारा दो नोटिस दिए गए थे, जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने मुस्लिम वोटों पर अपनी टिप्पणियों पर कानून तोड़े और मतदाताओं को केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ उकसाया।
उन्हें 28 मार्च और 7 अप्रैल को अपने भाषणों को समझाने के लिए कहा गया था, जिसमें कथित रूप से केंद्रीय बलों पर मतदाताओं को डराने और महिलाओं को वापस जाने या सुरक्षा कर्मियों को घेरने का आग्रह करने का आरोप लगाया गया था।
मार्च रैली के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें किसने इतनी ताकत दी कि केंद्रीय पुलिस महिलाओं को वोट डालने की अनुमति दिए बिना धमका रही है? मैंने 2019 में भी यही बात देखी थी, 2016 में मैंने वही देखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता है कि किसके निर्देश के तहत उन्होंने लोगों को पीटा और किस तरह से मारपीट की। लोगों के परिवारों को बचाना आपका कर्तव्य है। अगर हमारी किसी भी माँ और बहन पर कोई डंडे से प्रहार करता है, तो उन पर करछुल, डंडे और चाकू से हमला करो। मैं आपको बता रही हूं। यह महिलाओं का अधिकार है और अगर हमारी माताओं और बहनों में से किसी को भी वोटिंग स्टेशन में प्रवेश करने से रोका जाता है, तो आप सभी बाहर आकर विद्रोह करेंगी।
चुनाव निकाय ने कहा कि कूचबिहार में, उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों (सीआरपीएफ) पर ‘अत्यधिक आपत्तिजनक टिप्पणी’ की है।
एक अन्य नोटिस में, मुख्यमंत्री पर ‘सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगने’ का आरोप लगाया गया है।
“ममता बनर्जी ने 3 अप्रैल को हुगली जिले में चुनाव प्रचार के दौरान कहा, ‘‘मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर निवेदन कर रही हूं। शैतान की बात सुनने के बाद अल्पसंख्यक मतों का विभाजन न करें। जिन्होंने भाजपा से पैसा लिया था।. वह कई सांप्रदायिक बयान देते है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि दोनों नोटिसों के प्रति उसकी प्रतिक्रिया विवादास्पद थी।
इन चुनावों में बनर्जी का चुनाव आयोग के साथ झगड़ा चल रहा है। इससे पहले नंदीग्राम में मतदान के बारे में एक ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ शिकायत पर उसे चेतावनी दी गई थी, जहां वह भाजपा के सुवेंदु अधिकारी के सामने है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी नेता पर इस प्रकार चुनाव आयोग ने प्रतिबंध लगाया है। इससे पहले भी चुनाव आयोग ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर रोक लगाई थी, तो वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की भी चुनावी सभा पर रोक लगाई थी। किसी पर 48 घंटे तो किसी पर 72 घंटे की रोक लगाई गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे कई मौकों पर चुनाव आयोग की ओर से ऐसे फैसले लिए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह के चुनाव प्रचार पर रोक लगी थी।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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