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‘वैलेंटाईन डे’ संकीर्ण प्रेम सिखाता है, हिन्दू धर्म देता है व्यापक प्रेम की सीख

'वैलेंटाईन डे' संकीर्ण प्रेम सिखाता है, जबकि हिन्दू धर्म 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के व्यापक प्रेम की सीख देता है । कुछ देशों में 14 फरवरी को वैलेंटाईन डे प्रेमदिवस के रूप में मनाते हैं। क्या वास्तविक प्रेम केवल एक दिन का ही होता है? इसका प्रचलन अब भारतीय महाविद्यालयों में भी बढ रहा है। इस पश्‍चिमी […]

'वैलेंटाईन डे' संकीर्ण प्रेम सिखाता है, जबकि हिन्दू धर्म 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के व्यापक प्रेम की सीख देता है । कुछ देशों में 14 फरवरी को वैलेंटाईन डे प्रेमदिवस के रूप में मनाते हैं। क्या वास्तविक प्रेम केवल एक दिन का ही होता है? इसका प्रचलन अब भारतीय महाविद्यालयों में भी बढ रहा है। इस पश्‍चिमी कुप्रथा के विषय में जागृति करनेवाला यह लेख…

हिन्दू युवा पीढी का राष्ट्रांतरण और धर्मांतरण करनेवाला डे!
वैलेंटाईन डे मनाना, पश्‍चिमी संस्कृति की अनैतिकता का अनुसरण व हिन्दू संस्कृति का अवमूल्यन है! आर्थिक लाभ हेतु प्रसारमाध्यम/शुभकामनापत्र-निर्माता इसका प्रसार करते हैं। इससे हिन्दुओं के एक दिन के राष्ट्रांतरण एवं धर्मांतरण को प्रोत्साहन मिलता है।

वैलेंटाईन डे मनानेवालो, राष्ट्रप्रेमी और धर्मप्रेमी बनो!
युवाओ, इस मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए युवा आयु में ही प्राणों की आहुति देनेवाले भगतसिंह, सावरकर, मदनलाल ढींगरा, चाफेकर बंधु आदि क्रांतिकारी भी यदि वैलेंटाइन डे मनाते, तो क्या आपको आज की तथाकथित स्वतंत्रता देखने मिलती? आज आतंकवाद-भ्रष्टाचार देश को खोखला बना रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सोलहवें वर्ष की आयु में ही हिन्दवी स्वराज्य स्थापना की प्रतिज्ञा की थी। युवकों को वाममार्ग की ओर ले जानेवाला व स्त्री मोह में फंसानेवाला तथाकथित संत वैलेंटाइन, क्या इन महापुरुषों से अधिक महान है?

वैलेंटाईन डे का भयावह स्वरूप!
• विश्‍व में वैलेंटाईन डे के दिनों में, न्यायालय में प्रविष्ट होनेवाले विवाह-विच्छेद के अभियोगों में 40 प्रतिशत वृद्धि होती हैं! – एक निजी प्रतिष्ठान (कंपनी), अमरीका
• भेंटवस्तुएं अधिक मात्रा में खरीदी जाने के कारण भारतीयों के 22 सहस्र करोड रुपयों से भी अधिक राशि लुट जाती है । – असोचेम उद्योग क्षेत्र का एक संगठन
• भारत में अनुमानतः 15 सहस्र करोड शुभकामना-पत्रों (ग्रीटिंग कार्ड) की ब्रिक्री होती है।
• इस दिन व्याभिचार, स्वैराचार की घटनाएं सामान्य हो गई हैं।

वैलेंटाईन डे क्यों न मनाएं?
हिन्दुओं की विवाह संस्कृति संयमी व नैतिक प्रेमजीवन सिखाती है और यह दिन इसके विपरीत ही अधर्माचरण करना सिखाती है। अधर्म दुख का मूल है। इसलिए इस दिन को मनाना टालना ही श्रेयस्कर है। अतः अपनी उत्कृष्ट भारतीय सभ्यता-संस्कृति पर गर्व करें और उसके अनुसार आचरण कर सुखी जीवन जीएं।

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