नई दिल्लीः इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेने के लिए फर्जी और नकली इनवॉयस बनाने वालों के खिलाफ चल रहे धर-पकड़ अभियान के तहत पूर्वी दिल्ली संभाग के केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) अधिकारियों ने 79.5 करोड़ रुपये के फर्जी बिलों का पता लगाया है। यह फर्जीवाड़ा सी.ए. नितिन द्वारा तीन फर्जी कंपनियों को बनाकर किया जा रहा था। नितिन ने मेसर्स अंशिका मेटल्स, मेसर्स एन.जे. ट्रेडिंग कंपनी और मेसर्स ए.जे.इंटरप्राइजेस नाम की कंपनियां अपने परिवार के सदस्यों के नाम से बनाई थी। जिसके जरिए वह फर्जी आईटीसी जारी करने का काम कर रहे थे।
इन कंपनियों के जरिए सी.ए.नितिन जैन ने 14.30 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी जारी किए थे। यही नहीं जो ई-वे बिल जारी किए गए थे, वह भी फर्जी पाए गए हैं। सी.ए.नितिन जैन 16 दिसंबर, 2020 से फरार चल रहे थे। जो अंतत: 13 जनवरी, 2021 को जांच अधिकारियों के सामने पेश हुए। उन्होंने अपने बयान में स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने पिता श्री नरेश चंद जैन, उनकी पत्नी श्रीमती दीक्षा जैन की पहचान का उपयोग करते हुए फर्जी कंपनियां बनाई। जिनका इस्तेमाल वह फर्जी आईटीसी लेने के लिए किया करते थे।
गौरतलब है कि इसके पहले पूर्वी दिल्ली संभाग द्वारा की गई कार्रवाई में श्री सचिन मित्तल और श्री दिनेश जैन का मामला सामने आया था, जिसमें वह फर्जी तरीके से आईटीसी लेने का काम कर रहे थे। इसके तहत श्री सचिन मित्तल ने 12 करोड़ और श्री दिनेश जैन ने 13.98 करोड़ रुपये का आईटीसी में फर्जीवाड़ा किया था। जांच में दोनों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट और उनके द्वारा की गई स्वीकारोक्ति में सी.ए. नितिन जैन के नाम का खुलासा हुआ है। जिसमें उन्होंने बताया कि कमीशन के आधार पर विभिन्न फर्मों के फर्जी बिल और इनवॉयस की व्यवस्था नितिन जैन किया करते थे।
नितिन जैन ने अपने परिवार के सदस्यों की पहचान पर, फर्जी संस्थाओं का इस्तेमाल करके जानबूझकर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132 (1) (बी) और 132 (1) (सी) के तहत अपराध किया है। यह प्रावधान वित्त अधिनियम-2020 की धारा-127 में संशोधन के जरिए बने हैं। जो कि अधिनियम की धारा 132 (5) के आधार पर क्लॉज (आई) और अधिनियम 132 की उपधारा (1) प्रावधानों के अनुसार संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है।
सी.ए. नितिन जैन को इन अपराधों के तहत सीजीएसटी एक्ट, 2017 के अधिनियम 69 (1) के तहत ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। और उन्हें मजिस्ट्रेट द्वारा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में 27 जनवरी, 2021 तक के लिए भेज दिया गया है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।
मौजूदा साल में फर्जी बिल बनाकर फर्जीवाड़ा करने के 3684.46 करोड़ रुपये के मामले सामने आए हैं। इसके तहत जोन से 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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