नई दिल्लीः किसानों के संघ द्वारा गतिरोध को हल करने के लिए सरकार के साथ बातचीत के लिए एक बार फिर से आज बैठक होनी है। केंद्र द्वारा सितंबर में संसद द्वारा अनुमोदित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के लिए किसानों ने 26 नवंबर से राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है। किसान चाहता है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए, लेकिन केन्द्र सरकार अपने फैसले पर अडिग है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आज की बैठक में किसान संगठन और केंद्र सरकार किसी ठोस समाधान पर पहुंचेंगे।
बहरहाल, बैठक में नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप देने पर विस्तृत चर्चा होगी। हाड़ कंपाने वाली ठंड और मुसलाधार बारिश के बीच 40 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसानों ने धमकी दी है कि यदि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।
बता दें कि बुधवार को हुई पिछली बैठक में पराली और बिजली संशोधन बिल पर किसानों और सरकार के बीच सहमति बनी थी। किसान और सरकार की बातचीत से पहले से एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और वर्तमान संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की। समाचार एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
हरियाणा में रविवार को किसानों और पुलिस के बीच झड़प की नौबत आ गई। रेवाड़ी-अलवर सीमा पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों के खिलाफ मुख्य आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली मार्च कर रहे थे। पुलिस ने मार्च रोकने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे।
किसानों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की धमकी दी है। किसानों का कहना है कि 23 जनवरी को, यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सभी राज्यपालों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसान आंदोलन का समन्वय कर रही 7 सदस्यीय समन्वय समिति ने शनिवार को सरकार को यह अल्टीमेटम दिया।
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